Monday, 4th August 2025

स्वागत नववर्ष / निमाड़ के तीन लोगों की कहानी... जिन्होंने हर दिन को चुनौती के रूप में लिया और जीता

Wed, Jan 1, 2020 9:48 PM

 

  • जैविक खेती से मुखातिब हुईं ललिता मुकाती एक साल में ही पा लिए चार अवार्ड
  • फटे कपड़ाें में खेत में ही कुश्ती लड़ना सीखा, आज अंतरराष्ट्रीय पहलवान है माधुरी पटेल
  • देशभर के 15 हजार से ज्यादा थानों में बुरहानपुर सर्वश्रेष्ठ 3 में चुना गया

 

इंदौर/खंडवा/ रतलाम. निमाड़ के तीन लोगों की कहानी जिन्होंने हर दिन को चुनौती के रूप में लिया और जीता। फटे कपड़ाें में खेत में ही कुश्ती लड़ना सीखने वाली माधुरी पटेल आज अंतरराष्ट्रीय पहलवान है। वहीं जैवकि खेती करने वाली ललिता मुकाती एक ही साल में चार अवार्ड प्राप्त कर चुकी है। इसी प्रकार बुरहानपुर के पुलिस अधीक्षक अजय सिंह जिनकी मेहनत से बुरहानपुर को देश भर के 15 हजार से अधिक थानों में से सर्वश्रेष्ठ 3 में चुना गया है।

माधुरी पटेल : अंतरराष्ट्रीय पहलवान 
मैं गांव के सरकारी स्कूल में कक्षा चाैथी की छात्रा थीं। भाई भी स्कूल के बाद खेताें में कुश्ती लड़ने जाता था। माता-पिता मजदूरी करने जाते ताे मैं उनके साथ चली जाती। एक दिन पिता ने मजदूरी करते मुझे टूटी चप्पलाें में ही खेत की मिट्टी पर दाैड़ते देखा। बस उस दिन से मेरे पहलवान बनने की कहानी शुरू हाे गई। पिता ने खेत में ही मिट्टी का अखाड़ा बनाकर मुझे पहलवानी सिखाना शुरू किया। खेत के पास की नहर पर सुबह व शाम दाैड़ लगवाई। गांव में काेई लड़की पहलवान नहीं थी ताे पिता ने गांव के लड़काें से ही कुश्तियां लड़ाई। उम्र व ऊंचाई में छाेटी हाेने के बावजूद लड़के मुझसे हार जाते।

कुछ समय बाद पिता जगदीश पटेल व गांव के ही प्रशिक्षक रघु पांजरे ने गांव में ही एक अखाड़ा तैयार किया। अब गांव के लगभग हर घर में एक पहलवान है। अगस्त 2019 में बुल्गारिया में हुई वर्ल्ड कैडेट रेसलिंग चैंपियनशिप में 43 किग्रा वजन समूह में अजरबेजान व उजबेकिस्तान की खिलाड़ियाें काे देसी दाव से मिनटाें में पराजित किया था। खंडवा से 5 किमी दूर बाेरगांव खुर्द की 14 वर्षीय माधुरी के पहलवान बनने की हकीकत किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। माधुरी खेल प्राधिकरण लखनऊ में इंटरनेशनल खिलाड़ी विनेश फाेगाट, साक्षी मलिक सहित कई नामी पहलवानाें के साथ प्रशिक्षण ले रही हैं।
 
ललिता मुकाती : प्रगतिशील किसान, बोरलाय, बड़वानी
मुझे जैविक खेती व खेती में नवाचार के लिए एक साल में 4 अवार्ड मिले। बच्चों की जिम्मेदारी कम होने पर मैंने देखा कि खेती में पति अकेले पड़ गए हैं। 23 हेक्टेयर में पति ने बगीचे तैयार किए। वे अक्सर कृषि मेले व कांफ्रेंस में बाहर जाते रहते। ऐसे में खेत के काम प्रभावित होते थे। 10 साल पहले पति का हाथ बटाने के लिए खेती शुरू की। लोगों ने इसका विरोध भी किया। मैंने भी लोगों की बातों ध्यान नहीं दिया। पति के साथ इटली व जर्मनी की यात्रा कर वहां की खेती के गुर सीखे।

महिला किसानों के साथ इंदौर, रतलाम, मंदसौर का भ्रमण कर सोयाबीन, अंगुर के बगीचे, वाइन फैक्ट्री, संतरे के बगीचे, औषधीय फसलों की खेती के गुर सीखे। फसलों के लिए घर पर ही जैविक खाद बनाती हूं। महिलाओं को जैविक खेती से जोड़ने के लिए गांव में मां दुर्गा किसान महिला समूह बनाया है। इसमें 25 महिलाएं हैं। उन्हें भी जैविक खाद बनाना सिखाती हूं। 4 एकड़ में सीताफल लगाए थे जो पैक कर इंदौर, दिल्ली, अहमदाबाद, सूरत, जयपुर तक सप्लाय किए। मुझे जनवरी 2019 में दूरदर्शन किसान अवार्ड, मार्च में दिल्ली में नवेन्मेषी किसान पुरस्कार जुलाई में हलधर आर्गेनिक किसान अवार्ड व अगस्त में विजयाराजे सिंधिया यूनिवर्सिटी ग्वालियर में सर्वोत्तम किसान पुरस्कार मिला है। मेरी इच्छा है कि अन्य महिलाएं भी खेती में खूब योगदान दें।

अजय सिंह : पुलिस अधीक्षक, बुरहानपुर 
देश के 15600 थानों में अजाक थाने का सर्वश्रेष्ठ 3 में चुना जाना आसान नहीं था। इसके लिए थाने से लेकर न्यायालय, समाज से लेकर आश्रम-छात्रावास हर दिशा में पूरी शिद्दत से काम किया।2018 के 23 और 2019 के 32 अपराधों में से सिर्फ तीन ही पेंडिंग हैं। दोनों वर्षों में आई 217 शिकायतों में से सभी का समय पर निराकरण किया। दोनों साल दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में 58 जन चेतना और जन जागरण शिविर लगाकर एससी-एसटी वर्ग के लोगों को उनके अधिकारों और कानूनों को लेकर जागरूक किया। नतीजा यह रहा कि पीड़ित और गवाह बिना डरे थाने और न्यायालय तक पहुंचे। इन्हें पूरा न्याय दिलाया गया। दोनों वर्षों में 160 बार जिले में संचालित विभाग के आश्रम और छात्रावासों का आकस्मिक निरीक्षण किया। विद्यार्थियों से उनकी समस्याएं, सुविधाएं और परेशानी को लेकर गुप्त जानकारी ली। इनका निराकरण किया।


दोनों वर्षों के कुल पंजीबद्ध 55 अपराधों में से छह गंभीर मामलों को चिन्हित कर इनमें से तीन मामलों में छह आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई। थाने के प्रयासों से दोनों वर्षों में एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ सामाजिक बुराई संबंधी कोई घटना नहीं हुई।

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