Tuesday, 10th June 2025

इसरो / चेयरमैन सिवन ने कहा- चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली, गगनयान मिशन के लिए 4 एस्ट्रोनॉट चुने गए

Wed, Jan 1, 2020 9:34 PM

 

  • इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया- चुने गए अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण इसी महीने शुरू होगा
  • ‘देश के दूसरे स्पेस पोर्ट बनाने के लिए तमिलनाडु के तुतुकुडी में भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू’
  • ‘चंद्रयान-2 के दौरान हमने लैंडर को उतारने का बेहतर प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया था’

 

बेंगलुरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख के.सिवन ने बुधवार को बताया कि सरकार ने चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इस पर काम शुरू हो चुका है। उन्होंने बताया कि गगनयान मिशन के लिए चार लोगों को चुना गया है। सभी अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण इस महीने के तीसरे सप्ताह में शुरू होगा। इसके साथ ही, गगनयान सलाहकार समिति का गठन किया गया है।

इसरो प्रमुख ने बताया, “हमने चंद्रयान-2 मिशन के दौरान बेहतर प्रयास किया था, लेकिन उसे चांद की सतह पर नहीं उतार पाए थे। हालांकि, इसका ऑर्बिटर बेहतर तरीके से काम कर रहा है। यह ऑर्बिटर सात साल तक डेटा उपलब्ध कराएगा।” उन्होंने बताया कि दूसरे स्पेस पोर्ट के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का काम शुरुआती दौर में है। यह पोर्ट तमिलनाडु के तुतुकुडी में बनेगा।

के सिवन ने कहा- इस साल 25 से ज्यादा मिशन लॉन्च करने की योजना

के सिवन ने 2019 की इसरो की सफलता का जिक्र किया। उन्होंने बताया, “2019 में हमारी मुख्य रणनीति इसरो को विस्तार देना था। हम चाहते थे कि इसरो का क्षैतिज विस्तार हो। दूसरी रणनीति थी कि हम अपने क्षमता का विस्तार करें। वहीं तीसरी रणनीति इसरो में शारीरिक कार्यों में कटौती करनी थी। 2020 इसरो के लिए बहुत ही अहम होगा। उन्होंने बताया कि इस साल हमारी 25 से ज्यादा मिशन लॉन्च करने की योजना है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा था- भारत 2020 में चंद्रयान-3 लॉन्च करेगा

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद के शीतकालीन सत्र में दिए गए लिखित जवाब में बताया था कि भारत 2020 में चंद्रयान-3 लॉन्च करेगा और इसकी लागत चंद्रयान-2 से कम होगी। उन्होंने कहा था कि चंद्रयान-2 को असफल कहना गलत होगा। इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। चांद की सतह पर उतरने का भारत का यह पहला प्रयास था। दुनिया का कोई भी देश पहली कोशिश में ऐसा नहीं कर पाया है।

अंतरिक्ष में सात दिन गुजारेंगे पायलट
पिछले साल मई में, वायुसेना ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के साथ गगनयान मिशन के लिए क्रू सिलेक्शन और ट्रेनिंग उपलब्ध कराने का समझौता किया था। इसके तहत, 2022 में गगनयान से चार सदस्यीय वैज्ञानिकों का एक दल भेजा जाना है, जो कम से कम सात दिन अंतरिक्ष में गुजारेगा। इस यान को जीएसएलवी मैक-3 से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इन चयनित टेस्ट पायलटों को प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा जाएगा। इसके लिए इसरो ने रूस के अंतरिक्ष एजेंसी ग्लावकॉस्मोस के साथ इसी साल 2 जुलाई को एक समझौता किया था।

गगनयान पर 10 हजार करोड़ का खर्च आएगा
गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल लालकिले से स्वतंत्रता दिवस पर की थी। मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसे संभवत: 2022 में लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए 2018 में केंद्रीय कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी थी। 

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