उन्होंने कहा- वर्तमान आकलन दर्शाता है कि उत्तर-पूर्वी भारत के क्षेत्रों में 765 स्क्वेयर किमी में वनक्षेत्र कम हुआ है। यह 0.45% है। असम और त्रिपुरा को छोड़कर शेष अन्य राज्यों में वनक्षेत्र में कमी हुई है। देश में मेंग्रो कवर का हिस्सा 54 स्क्वेयर किमी बढ़ा है। पिछले आकलन के मुकाबले यह 1.10 % ज्यादा है। वहीं, कार्बन उत्सर्जन भी 4.26 करोड़ टन बढ़ा।
‘दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश ही समझौते से गायब’
पेरिस समझौते के अनुसार, अमेरिका और अन्य देशों को बढ़ते वैश्विक तापमान को 2° सेल्सियस तक कम करना है। ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्री स्तर में बढ़ोतरी होने के लिए जिम्मेदार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए गरीब और अमीर देशों को कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके तहत कार्बन और ग्रीन हाउस गैसों का ज्यादा उत्सर्जन करने वाले देशों को अपने उत्सर्जन पर लगाम लगानी है।
पेरिस समझौते को दिसंबर 2015 में दुनिया के 195 देशों ने स्वीकार किया था। अमेरिका ने इस साल 4 नवंबर को यूएन महासचिव को पेरिस समझौते से हटने की आधिकारिक सूचना दे दी। सूचना देने के एक साल के बाद यह प्रभाव में आएगा।
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