बिलासपुर. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को होने वाली बीमारियों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। चिरायु योजना के जो आंकड़े सामने आए हैं वो काफी चौंकाने वाले हैं। इसमें बिल्हा ब्लॉक की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जिले के 6 ब्लॉक में इस वर्ष 3 लाख 12 हजार 234 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई। इनमें 69 हजार 318 बच्चे किसी न किसी बीमारी से पीड़ित पाए गए। इनमें से चिरायु योजना के तहत 63 हजार 924 बच्चों का इलाज किया गया वहीं 5 हजार 88 बच्चों को रेफर किया गया। इसमें भी बिल्हा ब्लॉक में सबसे ज्यादा 25 हजार से अधिक बच्चे विभिन्न रोगों से पीड़ित मिले। यानी वहां का हर चौथा बच्चा किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है।
चिरायु योजना के तहत 30 बीमारी को शामिल किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में चिरायु योजना की टीम पहुंचती है। आंगनबाड़ी में 2 बार और स्कूलों में 1 बार बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। इसमें जिन बच्चों को कोई बीमारी होती है तो उसका इलाज जरूरत के हिसाब से अनुबंधित अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से आॅपरेशन, दिल की बीमारी, मोतियाबिंद, मूक-बधिर रोग सहित छोटी बीमारियां शामिल हैं।
ब्लॉक का नाम | जांच हुई | बीमार मिले | इलाज हुआ | रेफर किए गए |
गौरेला | 22445 | 4358 | 3929 | 436 |
मरवाही | 28412 | 7052 | 6636 | 428 |
पैंड्रा | 20331 | 4531 | 4017 | 516 |
कोटा | 27984 | 8041 | 7308 | 736 |
तखतपुर | 52355 | 9623 | 8783 | 688 |
बिल्हा | 105207 | 25601 | 24047 | 1402 |
नोट :बिल्हा में जांच की संख्या लाख में है तथा शेष ब्लॉक में हजार में।
बिल्हा में बच्चों की संख्या अधिक है। छोटी-छोटी बीमारियाें का भी रिकार्ड बनाया जाता है इसलिए वहां बीमार बच्चों की संख्या ज्यादा है। बीमार बच्चों का नियमानुसार याेजना के तहत इलाज करवाया जाता है। गंभीर बच्चे जिनका इलाज हमारे यहां नहीं हो सकता है उन्हें अनुबंधित प्राइवेट अस्पताल तथा रायपुर एम्स भेजा जाता है। इसका पूरा खर्चा सरकार वहन करती है।डाॅ. प्रमोद महाजन, सीएमएचओ, बिलासपुर
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