नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषी अक्षय कुमार की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में फैसला सुनाएगा। अक्षय के वकील एपी सिंह ने सुनवाई के दौरान केस की जांच और पीड़ित के बयानों पर सवाल उठाए। करीब 30 मिनट की दलीलों में सिंह ने कहा कि पीड़ित ने आखिरी बयान में अक्षय या किसी दोषी का नाम नहीं लिया। पीड़ित की मौत ड्रग ओवरडोज से हुई थी। मीडिया और राजनीतिक दबाव में अक्षय को सजा सुनाई गई। वह निर्दोष और गरीब है। भारत अहिंसा का देश है और फांसी मानवाधिकार का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप ठोस व कानूनी तथ्य रखें, बताएं कि हमारे फैसले में क्या कमी थी और क्यों पुनर्विचार करना चाहिए।
अक्षय के वकील एपी सिंह की दलील और कोर्ट की टिप्पणी...
राक्षसों को पैदा कर ईश्वर शर्मसार होता होगा: मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पुनर्विचार याचिका का विरोध किया। मेहता ने कहा- ट्रायल कोर्ट ने सभी दलीलों और सबूतों को परखने के बाद फांसी सुनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है। यह अपराध ऐसा गंभीर है जिसे भगवान भी माफ नहीं कर सकता, जिसमें सिर्फ फांसी की सजा ही हो सकती है। ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होता होगा। इनसे कोई रहम नहीं होनी चाहिए।
निर्भया के पिता ने सुनवाई से पहले कहा- उम्मीद है कि दोषी अभय की याचिका खारिज होगी। देश चाहता है कि दोषियों को फांसी देने की तारीख तय हो। अक्षय ने याचिका में दिल्ली के प्रदूषण का हवाला देते हुए मौत की सजा पर सवाल उठाए। उसने कहा था कि जब प्रदूषण की वजह से वैसे ही दिल्ली में लोगों की उम्र घट रही है तो ऐसे में मौत की सजा क्यों दी जाए?
सीजेआई बोबडे ने खुद को सुनवाई से अलग किया
इससे पहले मंगलवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सीजेआई ने कहा था कि उनके एक रिश्तेदार ने निर्भया की मां की तरफ से केस की पैरवी की थी। नई बेंच में सीजेआई की जगह जस्टिस एसए बोपन्ना और जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। निर्भया में तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी हैं।
अक्षय ने फांसी से बचने के लिए अजीब दलीलें दी थीं
अक्षय ने मौत की सजा से बचने के लिए अजीब दलीलें दीं थीं। उसने याचिका में दिल्ली के गैस चैंबर होने, सतयुग-कलियुग, महात्मा गांधी, अहिंसा के सिद्धांत और दुनियाभर के शोधों का जिक्र किया था। अक्षय ने कहा था कि जब दिल्ली में प्रदूषण की वजह से वैसे ही लोगों की उम्र घट रही है, तब हमें फांसी क्यों दी जा रही है?
विनय ने दया याचिका वापस लेने की मांग की
16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में 2013 में निचली अदालत ने अक्षय, मुकेश, पवन और विनय को मौत की सजा सुनाई थी। एक अन्य दोषी राम सिंह ने कथित तौर पर तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी। एक दोषी नाबालिग का केस जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है। 2017 में मुकेश, पवन और विनय ने फैसले पर पुनर्विचार याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल खारिज कर दिया था। दोषी विनय ने राष्ट्रपति के पास भेजी दया याचिका वापस लेने की मांग की है। उसने कहा था कि दया याचिका पर मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं।
तिहाड़ ने शॉर्ट नोटिस पर जल्लाद मुहैया कराने को कहा
दिल्ली की तिहाड़ जेल ने उत्तर प्रदेश से दो जल्लाद मुहैया करवाने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश के एडीजी (जेल) आनंद कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि हमें 9 दिसंबर (सोमवार) को फैक्स के माध्यम से तिहाड़ जेल से एक पत्र मिला है, जिसमें यूपी के दो जल्लादों की सेवाएं मांगी गई हैं, क्योंकि उनके( तिहाड़ जेल) पास जल्लाद नहीं हैं। पत्र में दोषियों को फांसी दिए जाने का कोई जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन कहा गया है कि इसकी जरूरत पड़ सकती है।
Comment Now