Tuesday, 2nd December 2025

एक्सक्लूसिव / एपल, माइक्रोसॉफ्ट समेत 5 टेक कंपनियों पर बाल श्रम का केस, याचिकाकर्ता ने पीड़ित बच्चों की तस्वीरें भास्कर को उपलब्ध करवाईं

Wed, Dec 18, 2019 2:58 AM

 

  • अन्य तीन आरोपी कंपनियां- अल्फाबेट, डेल और टेस्ला; वॉशिंगटन के एनजीओ ने केस दायर किया 
  • आरोप- इन कंपनियों को अफ्रीकी देश कॉन्गो की खदानों से कोबाल्ट सप्लाई हो रहा
  • 'कॉन्गो की कोबाल्ट खदानों में 1 डॉलर प्रति दिन से भी कम मेहनताने पर बच्चे काम कर रहे'
  • 14 पीड़ितों की ओर से दायर केस में एनजीओ का दावा- 6 परिवार ऐसे जिनके बच्चे खदान हादसों में मारे गए
  • स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य डिवाइस की लीथियम आयन बैटरी में कोबाल्ट इस्तेमाल होता है

 

वॉशिंगटन. अमेरिका की पांच प्रमुख टेक कंपनियों- एपल, माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला, अल्फाबेट और डेल के खिलाफ मानवाधिकार संगठन इंटरनेशनल राइट्स एडवोकेट्स ने बालश्रम (चाइल्ड लेबर) का मुकदमा किया है। टेक कंपनियों के खिलाफ इस तरह का केस पहली बार हुआ है। मानवाधिकार संगठन का दावा है कि इन कंपनियां को अफ्रीकन देश कॉन्गो की खदानों से कोबाल्ट सप्लाई हो रहा है। वहां की कोबाल्ट खदानों में बच्चे 1 डॉलर प्रति दिन से भी कम मेहनताने पर काम करते हैं। जोखिम इतना है कि कभी-कभी जान भी गंवानी पड़ जाती है। इस तरह टेक कंपनियां बच्चों की जान की कीमत पर अरबों डॉलर का मुनाफा कमा रही हैं। इंटरनेशनल राइट्स एडवोकेट्स ने खदान हादसों में अंग खो चुके और गंभीर रूप से घायल हुए बच्चों की तस्वीरें दैनिक भास्कर को उपलब्ध करवाई हैं। 

कॉन्गो में 33% कोबाल्ट खदानें बिना नियम-कायदों के चल रहीं

  1.  

    इंटरनेशनल राइट्स एडवोकेट्स ने 14 पीड़ितों की ओर से मुकदमा किया। इनमें 6 ऐसे परिवार शामिल हैं जिनके बच्चे खदानों में काम करते वक्त हादसे में मारे गए। अन्य बच्चे गंभीर रूप से जख्मी हो गए। 15 साल का एक बच्चा गहरी सुरंग में गिरने की वजह से पैरालाइसिस का शिकार हो गया। बता दें कॉन्गो की 33% कोबाल्ट खदानें बिना किसी नियम-कायदे के चल रही हैं। दुनिया की जरूरत का 66% कोबाल्ट कॉन्गो से सप्लाई होता है।

     

  2. कॉन्गो में 10 साल के बच्चे भी खदानों में काम करते हैं: रिपोर्ट

     

    कॉन्गो में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार और गरीबी है। फॉर्च्यून के मुताबिक वहां के एक ग्रामीण ने बताया कि जो बच्चे स्कूल नहीं जाते वे खदानों में काम करते हैं। इनमें 10 साल के बच्चे भी शामिल होते हैं। टेक्नोलॉजी सेक्टर में लीथियम-आयन बैटरी के लिए कोबाल्ट जरूरी होता है। ये बैटरी स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और दूसरी डिवाइस में इस्तेमाल होती हैं। इंटरनेशनल राइट्स एडवोकेट्स का कहना है कि टेक कंपनियां हर साल अरबों डॉलर का मुनाफा कमाती हैं, यह कोबाल्ट खनन के बिना संभव नहीं।

     

  3.  

    एक औसत इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी के लिए करीब 18 पाउंड कोबाल्ट जरूरी होता है। लंदन की कोबाल्ट ट्रेडिंग कंपनी डार्टन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में खनिजों की मांग अगले साल तक 1.20 लाख मीट्रिक टन पहुंचने का अनुमान है। यह 2016 के मुकाबले 30% अधिक होगी।

     

  4.  

    कई टेक कंपनियों ने पिछले दिनों कहा था कि उन्होंने अनियमित, नॉन मैकेनाइज्ड (बिना मशीनों वाली) और बच्चों से काम करवाने वाली खदानों से कोबाल्ट खरीदने वाले सप्लायरों को ब्लॉक किया है। एपल ने कहा था कि वह कोबाल्ट सप्लायरों पर नजर रखती है और नियमित रूप से ऑडिट रिपोर्ट पेश करती है।

     

  5. डेल की सफाई- आरोपों की जांच कर रहे, जानबूझकर कभी गलत नहीं किया

     

    इंटरनेशनल राइट्स एडवोकेट्स के मुकदमे पर डेल ने कहा कि आरोपों की जांच कर रहे हैं। हम मानवाधिकारों की रक्षा  के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने जानबूझकर कभी भी ऐसे स्त्रोतों से संसाधन नहीं जुटाए जहां बालश्रम या किसी तरह की अनियमितताएं हों।

     

  6.  

    फॉर्च्यून का दावा है कि उसने पिछले साल कोबाल्ट खदानों के हालातों का जायजा लिया था। खदानों में बच्चे 2 डॉलर प्रति दिन के हिसाब से 12 घंटे काम करते पाए गए। वे भारी चट्टानों की खुदाई और ढुलाई कर रहे थे।

     

  7. एनजीओ के वकील ने केस जीतने का भरोसा जताया

     

    इंटरनेशनल राइट्स एडवोकेट्स के वकील टेरेन्स कॉलिन्गस्वोर्थ का कहना है कि एनजीओ ने सुरक्षित स्थान पर पीड़ित बच्चों से मेरी मुलाकात करवाई। मुझे भरोसा है कि हम टेक कंपनियों के खिलाफ केस जीत जाएंगे। यह दुनिया की सबसे अमीर कंपनियों और पाषाण काल (स्टोन ऐज) जैसे हालातों में काम करने वाले बच्चों की लड़ाई है। कंपनियों के पास इतने संसाधन और ताकत हैं कि वे चाहें तो इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।

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