बिलासपुर. 5 से 6 घंटे का लंबा वक्त स्कूल में बिताने के दौरान अक्सर बच्चे बोतल का 10-20 फीसदी पानी ही पीते हैं। छोटे बच्चे तो खेल में पानी पीना भूल जाते हैं या फिर बार बार टॉयलेट जाना पड़ेगा और फिर टीचर से डांट पड़ेगी यह सोचकर वो पानी पीते ही नहीं हैं। इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है, और शरीर में पानी की कमी से कई तरह की परेशानियों की आशंका बनने लगती है। बिलासपुर के ज्यादातर सरकारी और निजी स्कूलों ने बच्चों की इस परेशानी पर ध्यान दिया और प्रेरित होकर पानी की घंटी बजवाना शुरू करवा दिया। जल्दी ही सभी स्कूलों में इसे शुरू करवाया जाएगा।
शासकीय प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूल जांजी के बच्चे अब घंटी बजते ही पानी पी रहे हैं। स्कूल की हेड मास्टर आशा उज्जैनी और शिक्षक विभा सोनी ने बताया कि पहले हमारे स्कूल के बच्चे पानी कम पीते थे। केरल के सभी स्कूलों में यह प्रक्रिया चल रही है। छत्तीसगढ़ सरकार के चर्चा पत्र से भी इसे शुरू करने कहा गया। पहले हमने स्कूल के सभी बच्चों को बाटल बांटी। अब स्कूल के समय में तीन बार पानी की घंटी बज रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने चर्चा पत्र में भी बच्चों को पानी पिलाने के लिए घंटी शुरू करवाने की बात लिखी है।
समय से पानी पीने के लाभ
- डॉ मनोज जायसवाल, एमडी, पैथालाजिस्ट, जिला अस्पताल
हमने भी अपने स्कूल के बच्चों के लिए पानी की घंटी शुरू करवा दी है। सभी बच्चे बाटल लेकर आते हैं अगर उनके बाटल का पानी खत्म भी हो जाता है। तो स्कूल में वाटर कूलर भी लगे हैं। जहां से बच्चे पानी भर लेते हैं। 20 दिन पहले ही हमने ये प्रक्रिया शुरू करवा दी है। स्कूल के शिक्षकों को इसकी देखरेख में लगाया है।मृदुला त्रिपाठी, प्रिंसिपल, शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल तिफरा
केरल के स्कूल में ऐसा हो रहा है। हमने न्यूज में पढ़ा। मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने भी अपने स्कूल में इसे शुरू करवा दिया। पहले हम घंटी बजाते थे। तो कई बार टीचर पीरियड समाप्त हो गया यह समझकर बाहर निकल आते थे। फिर हमने माइक लगवाया और अब सिटी बजाते हैं। दिन में दो से तीन बार सीटी बजाकर बच्चों को पानी पिलाते हैं।शुभेन्दु मंडल, एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल
एक दिन हमने बाटल चेक की तो पता चला कि कई बच्चे सिर्फ नाम मात्र के लिए पानी पीते हैं। अब हमने हर शिक्षक को कहा है कि आप क्लास में पीरियड लेने से पहले बच्चों को पानी पिलवाएंगी। इसके बाद ही पढ़ाई शुरू कराएं। पीरियड समाप्त होते ही शिक्षक क्लास में जाते हैं और पहले बच्चों को पानी पिलाते हैं इसके बाद पढ़ाई शुरू कराई जा रही है।श्रुति गुप्ता, एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल
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