नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र में गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 पेश करेंगे। भाजपा ने अपने सभी सदस्यों को अगले तीन दिन सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दल विधेयक के विरोध में हैं। असम के डुबरी से एआईयूडीएफ के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया।
इसबीच, भाजपा ने कांग्रेस सांसदों से मांग की है कि वे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से माफी मांगें। स्मृति ने कहा था कि सदन में उनके बयान पर आपत्ति जताते हुए कुछ सांसद अपनी बाहें मोड़ते हुए सामने आकर खड़े हो गए थे। भाजपा ने केरल के कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन और डीन कुरियकोस के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया है।
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में नागरिकता बिल लोकसभा में पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। केंद्रीय कैबिनेट से बिल को 4 दिसंबर को मंजूरी मिल गई थी। इस बिल के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देने में आसानी होगी।
धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप
कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दल धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप लगाकर बिल का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि नेपाल और श्रीलंका के मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। कांग्रेस, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, सपा, बसपा, राजद, माकपा, एआईएमआईएम, बीजद और असम में भाजपा की सहयोगी अगप विधेयक का विरोध कर रही हैं। जबकि, अकाली दल, जदयू, अन्नाद्रमुक सरकार के साथ हैं। बिल का असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी विरोध है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए बिल को संसद पास कराना चुनौती होगा।
Q&A में समझें नागरिकता संशोधन विधेयक...
1. नागरिकता कानून कब आया और इसमें क्या है?
जवाब: यह कानून 1955 में आया। इसके तहत भारत सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को 11 साल देश में रहने के बाद नागरिकता देती है।
2. सरकार क्या संशोधन करने जा रही?
जवाब: संशोधित विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की समयावधि घटाकर 11 साल से 6 साल की गई है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता के लिए पात्र होंगे। वैध दस्तावेजों के बिना पाए गए तो भी उन्हें जेल नहीं होगी।
3. विरोध क्यों हो रहा?
जवाब: पूर्वोत्तरी राज्यों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे। इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत पर संकट आ जाएगा।
4. असम समझौता क्या था?
जवाब: इसमें 1971 से पहले आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान था। सरकार का कहना है कि यह विधेयक असम तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी होगा।
भाजपा कांग्रेस सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया
भाजपा ने केरल के कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन और डीन कुरियकोस के निलंबन से संबंधित प्रस्ताव पेश किया। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि जब मैं सदन में बोल रही थी, तब कांग्रेस सांसद मुझे सबक सिखाना चाहते थे, क्योंकि उन्हें मेरा बयान आक्रामक लगा। कुछ सांसद तो मुझे सबक सिखाने के लिए बाहें मोड़ते हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया था। भाजपा नेता प्रह्लाद जोशी ने दोनों सांसदों के निलंबन की मांग की थी।
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