Thursday, 12th June 2025

भोपाल / गोविंदपुरा डिस्पेंसरी के पीछे एक बोरी दवाएं पड़ी मिलीं, भेल ने कहा- बाहर का कोई दुकानदार फेंक गया

Wed, Dec 4, 2019 6:46 PM

 

  • लोगों के अनुसार, गैर भेल कर्मियों को दवा नहीं दी जाती, दूसरी तरफ फेंकी जा रही
  • भेल के अनुसार, खंडहर मकानों के बीच डिस्पेंसरी होने से किसी दुकानदार ने यहां फेंक दिया

भोपाल। भेल की गोविंदपुरा स्थित डिस्पेंसरी के पीछे एक बोरी भरकर दवाओं को फेंका गया है। इसकी कीमत एक लाख रुपए से ज्यादा है। इसे डिस्पेंसरी के पीछे इस तरह से फेंका गया है कि कोई उसे देख नहीं पाए। इसमें डिस्पिरिन, ग्लाइकोसिन, पैरासीटामोल और कोल्ड की दवा हैं। भेल ने कहा कि इस तरह की दवाएं कस्तूरबा अस्पताल में नहीं खरीदी जाती हैं। बाहर का कोई दुकानदार सुनसान इलाका देखकर दवा की बोरी फेंक गया।

भेल कर्मचारियों के अनुसार, गोविंदपुरा में मकान खाली हैं। ओपीडी भी 10-15 मरीजों की है, तो इतनी दवा रखने की जगह जरूरत के अनुसार मंगाना चाहिए। जबकि कई संगठन गरीबों के लिए बची हुई दवा भी इकट्‌ठा करते हैं।

फेंकी नहीं जा सकतीं दवाएं
कस्तूरबा अस्पताल चिकित्सा सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य और भारतीय मजदूर संघ के उपाध्यक्ष कमलेश नागपुरे के अनुसार, दवा नई हों या पुरानी- उसको सार्वजनिक स्थान पर फेंका नहीं जा सकता है। चिकित्सा सलाहकार समिति के सदस्य निशान नंदा के अनुसार, दवा पुरानी होने के बाद भी फेंक नहीं सकते। इसकी जांच करवाने के लिए प्रबंधन से चर्चा करेंगे। पुरानी दवाओं को नष्ट करने की व्यवस्था है।

भेल इस तरह की दवा नहीं खरीदता
कस्तूरबा अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी अरुण हेमरान के अनुसार, बोरी में फेंकी गईं दवाएं भेल के द्वारा नहीं खरीदी जाती हैं। गोविंदपुरा डिस्पेंसरी के आसपास आबादी न होने से किसी दवा के व्यापारी ने बोरी भरकर डिस्पेंसरी के बाहर दवा फेंक दीं। भेल का भोपाल इंसीनेटर वालों से कांट्रेक्ट है। पुरानी दवा वहां भेजी जाती हैं।

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