रायपुर (संदीप राजवाड़े). छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में बच्चों के कुपोषण से बचाने के लिए ग्रामीण महिलाओं ने प्रशासन की मदद से अनूठी पहल कर डाली है। करीब सवा सौ महिलाएं मिलकर मुनगा (मोरिंगा) के पाउडर से ब्रेड, टोस्ट, समोसा, नमकीन, कुकीज व लड्डू बना रही हैं। ये अांगनबाड़ियों में बच्चों को दिया जा रहा है।
इसका असर ये हुअा है कि केवल 3 माह में जिले के 3-6 साल उम्र के 1226 बच्चे कुपोषण के दायरे से बाहर निकल गए हैं। मुनगे का पाउडर गांव में ही बनाया जा रहा है और खाद्य सामग्री भी वहीं। इसके लिए मुनगे की खेती, अासपास से व्यवस्था, इसे सुखाने और पाउडर तथा प्रोडक्ट बनाने का काम अासपास की 126 ऐसी महिलाएं संभाल रही हैं जो बेसहारा, विधवा, तलाकशुदा या अार्थिक रूप से कमजोर वर्ग से हैं।
मुनगा पाउडर की मांग इतनी तेजी से बढ़ी है कि तीन माह में इन महिलाओं को 15 लाख रुपए का बिजनेस मिल गया है। देश की बड़ी आयुर्वेदिक दवा कंपनियों ने भी इनसे संपर्क किया है।
सूरजपुर कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि जिले में 6 साल तक के 14 हजार बच्चे कुपोषित हैं। अार्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इनका कुपोषण से बाहर अाना अासान नहीं है। तब मुनगे में उपलब्ध विटामिन और अायरन, प्रोटीन और फाइबर की वजह से इसके इस्तेमाल का प्लान विशेषज्ञों ने दिया। इस अाधार पर प्रशासन ने सितंबर में सूरज ग्राम संगठन पार्वतीपुर का गठन किया। इस संगठन में महिलाओं को ही जोड़ा गया। इन्हें मुनगे की खेती के साथ-साथ मुनगा पत्ती का पाउडर बनाने और फिर उस पाउडर से ब्रेड, टोस्ट, नमकीन सेव के साथ अन्य प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दी गई।
समूह में काम इस तरह बंटा है कि कुछ महिलाएं पत्तियां लाने और सुखाने, कुछ पाउडर बनाने तथा कुछ प्रोडक्ट बनाने में लग गईं। दरअसल वहां कुछ माह पहले हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत फॉरेस्ट की 50 एकड़ जमीन में मुनगा लगाया गया था। इसकी पत्तियां तैयार हो रही हैं, जिसका उपयोग कर रहे हैं। यही नहीं, इन महिलाओं ने अपनी जमीन पर भी मुनगा लगा लिया है। अासपास के गांवों में भी शुरुअात हो गई है। मुनगे का पेड़ हर दो महीने में पत्तियों से भर जाता है। इसे तोड़कर सुखाते हैं, फिर पाउडर बना रहे हैं। तब तक पेड़ पर नई पत्तियां अा रही हैं। अब तक करीब 80 एकड़ में इसकी खेती की सूचना है। महिला संगठन मुनगे की सूखी पत्तियां भी खरीद रहा है।
पाउडर की मांग ज्यादा, दाल-सूप में मिलाने के साथ कैप्सूल भी बनाई जाती है
सूरज महिला ग्राम संगठन से जुड़ी तीजो सिरदार, प्रतिमा टोप्पो, गंगेत व बसंती बाई बताती हैं कि अब आसपास के गांव की महिलाएं भी यह काम सीखने अा रही हैं। मुनगे की पत्तियों की मांग सबसे ज्यादा है। अभी हम पूरे प्रोसेस के बाद पाउडर हजार रुपए किलो बेच रहेह हैं। कई दवा कंपनियों की तरफ से इसकी मांग आ रही है। कई नामी कंपनियां 100 रुपए से 180 रुपए में 100 ग्राम मुनगा पाउडर बेच रही हैं। केवल व्यवसाय ही नहीं, मुनगे का पाउडर अांगनबाड़ियों में भेज रहे हैं, ताकि वहां के बच्चे इस्तेमाल करें तो कुपोषण दूर हो। कलेक्टर ने बताया कि जिले के 2 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों के 3-6 साल के 32600 बच्चों को दाल या सब्जी में मुनगे का पाउडर मिलाकर दे रहे हैं। इसके ब्रेड-टोस्ट भी बांटे जा रहे हैं।
कैंसर, शुगर-बीपी समेत 300 बीमारियों के लिए फायदेमंद मुनगा
रायपुर स्थित शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय शुक्ला के अनुसार मुनगा (सहजन) सब्जी के साथ-साथ औषधि भी है। रिसर्च से साबित हुअा है कि मुनगे के पाउडर में कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, सर्दी-खांसी, अनिद्रा, चर्मरोग समेत कई बीमारियों को ठीक करने की दवा है। इसे डाक्टरों की सलाह पर रोज के भोजन में भी शामिल कर सकते हैं।
बड़ी अाॅनलाइन शापिंग साइट पर मिलेगा पाउडर, शहरों में स्टोर भी
मुनगा पाउडर से बन रहे फूड प्रोडक्ट हर उम्र व वर्ग के लिए बाजार में जल्द मिलेंगे। रायपुर, अंबिकापुर व बिलासपुर में स्टोर खोले जाएंगे। मल्टीनेशनल शापिंग साइट पर भी यह जल्द उपलब्ध होगा। यही नहीं, इसे जिले में बच्चों व गर्भवती महिलाओं को भी दिया जा रहा है और उन्हें फायदा हुअा है। -दीपक सोनी, कलेक्टर सूरजपुर
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