कोरिया. छत्तीसगढ़ को एक और टाइगर रिजर्व मिलने जा रहा है। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। अब यहां बाघों को प्राकृतिक माहौल देने के मकसद से चीतल लाए जाएंगे। जंगल की ही तरह यहां बाघ कुदरती माहौल में शिकार कर अपना पेट भरेंगे। करीब 100 चीतल लाए जाएंगे। इसके लिए राज्य वन्यजीव बोर्ड ने अपनी बैठक में अनुमति दे दी है। फिलहाल गुरु घासीदास नेशनल पार्क में पिछले दो साल से तीन बाघिनों को लगातार कैमरे से ट्रेस किया जाता रहा है। जानकारों का कहना है कि गुरु घासीदास नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व बन जाने से यह सीधे पलामू टाइगर रिजर्व से जुड़ जाएगा और टाइगरों के लिए बड़ा कारीडोर बनेगा।
ईको टूरिज्म के लिए किया जाएगा विकसित
वन्यजीव बोर्ड की बैठक में जो निर्णय लिया गया है उसके मुताबिक यहां बफर व कोर एरिया जोन तैयार किया जाएगा। बफर जोन में टाइगर रिजर्व एरिया का किनारे का इलाका होता है। इसे ईको टूरिज्म के हिसाब से विकसित किया जाएगा। इससे पर्यटक आएंगे और लोगों को रोजगार मिल सकेगा। बच्चों के लिए यहां पार्क भी बनाया जाएगा। वहीं कोर एरिया जोन मुख्य रूप से बाघों के लिए विकसित किया जाएगा।
वन्यजीव बोर्ड के सदस्य अमलेन्दू मिश्रा ने बताया कि गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाए जाने से लोगों का जंगलों में दखल कम होगा। इससे हाथियों के लिए यह बेहतर रहवास के लिए भी विकसित होगा। बता दें कि अभयारण्य में हाथियों की आवाजाही भी हमेशा बनी रहेगी। जिससे हाथियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हागी।
अब रिजर्व घोषित होने की वजह से इससे 40 गांव प्रभावित होगें। इनके विस्थापन के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया गया है। विस्थापित परिवारों के लिए अस्पताल, स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र के अलावा अन्य सुविधाएं होगीं और रहने के लिए व्यवस्थित मकान बनाकर दिए जाएंगे। इसके अलावा खेती के लिए जमीन भी दी जाएगी। इसके लिए अधिकतर गांव के लोगों ने अपनी सहमति पहले ही दे दी थी।
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