Thursday, 22nd May 2025

अनुभव / रील 'मर्दानी' रानी मुखर्जी ने लिया रियल लाइफ मर्दानी सुपर कॉप अर्चना त्यागी का इंटरव्यू

Wed, Nov 27, 2019 7:30 PM

बॉलीवुड डेस्क. महाराष्ट्र की जिन एस.आर.पी.एफ प्रमुख और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुपर कॉप अर्चना त्यागी की जिंदगी पर फिल्म 'मर्दानी 2' बनी है, उन्होंने खुद स्टार अभिनेत्री रानी मुखर्जी को बताया कि उन्हें किन-किन चुनौतियों से जुझना पड़ा। पुलिस महकमें में कार्यरत ऐसी ही मर्दानियों से प्राप्त इनपुट के आधार पर बनी है रानी स्टारर फिल्म 'मर्दानी 2'।

रानी- पुलिस में आकर लोगों की सेवा करने का फैसला कब और क्यों लिया?.

अर्चना - शुरु में मेरी पलिस में जाने की योजना नहीं थी। मैं अकेडमिक फैमिली से हूं इसलिए मेरा झुकाव इस ओर था, मैं रेग्युलर लेक्चरार भी थी। पर हमेशा के लिए नहीं रहना चाहती थी। अर्थशास्त्र में मास्टर्स डिग्री लेने के बाद जेएनयू से एम. फिल किया। जेएनयू में देशभर के छात्र यूपीएससी परीक्षा की तैयारियां करते हैं, मुझे लगता है कि आईपीएस के कीड़े ने मुझे वहीं काटा था। फिर मैंने तैयारी शुरू कर दी और वहीं मैं ढेर सारी चीजों के संपर्क में आती चली गई। मैंने आईएएस और आईपीएस की परीक्षा दी थी और पुलिस सर्विस में आई।

रानी- इस फैसले को लेकर आपके पैरेंट्स का रिएक्शन क्या था?

अर्चना - पैरेंट्स खुश थे और उन्हें बेहद गर्व था कि हमारी बच्ची आईपीएस बन गई। हमारे यहां कोई भी गवर्नमेंट सर्विस में नहीं था। मेरे दादा जी किसान परिवार से थे। मेरी मां के मन में पुलिए की नौकरी को लेकर कोई संदेह नहीं था। पापा जरूर मेरे प्रति चिंतित रहते थे और मेरी टीचिंग जॉब उन्हें सिक्योर लगती थी। उन्होंने महसूस किया कि पुलिस की नौकरी बेटी के लिए बहुत अच्छी नहीं है। उनको लगा कि यार ये तो गड़बड़ हो गई! क्या इसे बदला जा सकता है। पिता का यह रिएक्शन था, हालांकि वे खुश थे उन्हें गर्व हो रहा था। बस चिंतित थे कि ये कैसे कर पाएगी? पिता की चिंता थी कि ये सर्विस मेल डॉमिनेटिंग और चुनौतीपूर्ण है।

रानी- अपनी वर्क लाइफ और फैमिली लाइफ के बीच संतुलन कैसे बैठाती हैं, क्योंकि आपने मुझे अभी बताया था कि आपकी 19 साल की एक बेटी भी है?
अर्चना -
 दो चीजें एक साथ होना मुश्किल हैं। इससे आपका कॅरिअर भी बूम करेगा और आपकी फैमिली भी। बेटी का जन्म मेरी 7 साल की सर्विस के बाद हुआ। मैं इनीशियल पीरियड में कराड की एएसपी थी और मेरे पति बॉम्बे में थे। बाद में मैं ठाणे आ गई। मैं बिना मां बने अपने दो कार्यकाल पूरे किए। ठाणे वाले कार्यकाल के आखिर में मुझे एहसास हुआ अब फैमिली के बारे में सोचना चाहिए। मतलब ये कि जब तक आप बिन बच्चों के हैं, बस काम ही काम। जब बच्चा हो गया तो आपको समय देना ही देना है। इसलिए मैंने पूरे 8 महीने की मेटर्निटी लीव ली थी।

रानी- एक कॉप के तौर पर आप जो देखती और अनुभव करती हैं उसे अनवाइंड करने के लिए आप क्या करती हैं, क्योंकि जाहिर तौर पर ये सब दिलो दिमाग पर भारी पड़ता होगा?
अर्चना -
 यह बहुत इमोशनल होता है। एक उदाहरण सुनिए, मैं ठाणे की डीसीपी थी। मैंने पहला छापा एक बीयर बार पर मारा। हमने बहुत सारी महिलाओं को वहां से पकड़कर वर्तक नगर पुलिस स्टेशन लाए। उस वक्त मैं एकदम यंग थी। चूंकि अगले दिन इन्हें कोर्ट में पेश करना था। वे महिलाएं मुझे रात में आपबीती सुनाने लगीं। मैं इतनी अफेक्ट हो गई कि उनके साथ रातभर बैठी रही। जब वो अगले दिन कोर्ट गईं तभी मैंने पुलिस स्टेशन छोड़ा था। हमने हत्या के बहुत सारे मामलों की जांच की। कई केस मुझ पर इतना असर डालते थे कि रोने का मन करता था। शुरू-शुरू में रोती भी थी और बहुत बुरा महसूस करती थी हालांकि बाद में सब डेली रुटीन में आ गया।

रानी- तब क्या आप फैमिली के साथ होते वक्त सारी इंफॉर्मेशन से छुटकारा पा लेती हैं?
अर्चना -
 नहीं, मैं अपने ऑफिस का काम कभी भी (अपने घर) नहीं लाती। अपने कॅरिअर के 25 वर्षों के दौरान मैं एक भी फाइल घर नहीं लाई। ये तो हुई फाइलों की बात और मेरे दिमाग में क्या चलता है, अन्य चीजें भी… यहां तक कि 26/11 के दौरान मैं 7 दिनों तक घर नहीं गई थी... मैं ड्यूटी पर डटी रही। गणपति उत्सव के दौरान भी, जब आप उस प्रकार की पोस्टिंग में होते हैं, तो आप कई-कई दिनों तक घर नहीं जा पाते।

रानी- जुवेनाइल्स द्वारा किए गए अपराधों में भारी वृद्धि दर्ज की जा रही है। आप कैसे सचेत बने रह सकते हैं और इससे निपटने के लिए समाज को क्या योगदान दे सकते हैं?
अर्चना - 
लापरवाही कतई न बरतें। महिलाओं के पास जो फीमेल इंस्टिंक्ट होती है उसका उपयोग करें, यह इंस्टिंक्ट जीवित रखनी चाहिए। हम बच्ची को दुनिया में निकलने और खुद को साबित करने की दृष्टि से बड़ा करते हैं, लेकिन लड़कों को इस लिहाज से नहीं पालते कि वे इन महिलाओं को ठीक से हैंडल कर सकें। समस्या की जड़ यही है। तो जब एक बार ये पारिवारिक स्तर पर हो जाएगा, तो मुझे लगता है कि समाज में संवेदनशील पुरुषों की संख्या बढ़ जाएगी।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery