रायगढ़. जिला कोर्ट में भृत्य (चपरासी) के दो नियमित और 4 संविदा पदों के लिए शारीरिक व स्किल परीक्षा देने रविवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थी जुटे। आठ घंटे में लगभग 6734 परीक्षार्थियों ने मौखिक परीक्षा दी। चपरासी बनने आए लोगों में इंजीनियरिंग, एमएससी, एमबीए, आईटीआई, एमए इंग्लिश लिटरेचर की डिग्री ले चुके युवा भी शामिल थे। अभ्यर्थी सुबह 9 बजे से मिनी स्टेडियम में पहुंचने लगे थे, पूरा मैदान घंटे भर में ही भर गया।
पुलिसकर्मियों ने परीक्षार्थियों की लाइन लगवाई और टोकन देकर कलेक्टोरेट के पिछले दरवाजे से कोर्ट परिसर में भेजा। भीड़ की वजह से केलो विहार जाने वाली सड़क में ट्रैफिक रोका गया। कलेक्टोरेट, काेर्ट परिसर के दरवाजे बंद किए गए। सुबह 10 बजे से शुरू हुई परीक्षा शाम 6 बजे तक चली। रविवार को भृत्य के 6 पदों के लिए करीब 150 परीक्षार्थियों को शॉर्ट लिस्ट किया गया। युवाओं की कौशल परीक्षा होगी इसके बाद 6 लोगों का चयन होगा।
कोर्ट के 6 भृत्य के पदों के लिए 78 सौ आवेदन आए थे। जिसमें 10 न्यायिक अधिकारियों की अलग-अलग कमेटी बनाई गई थी, इन न्यायिक अधिकारियों एक-एक करके परीक्षार्थियों की मौखिक परीक्षा ली। इससे पहले परीक्षार्थियों ने फार्म भर कर अपने पढ़ाई की पूरी जानकारी और काम का अनुभव दिया था। इसी से जुड़े सवाल ही न्यायिक अधिकारियों ने परीक्षार्थियों को पूछा।
1. इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर हिंडाल्को कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर का काम कर रहे मोनू दाऊ बघेल हैं। मोनू ने बताया कि नियमित सरकारी नौकरी होने की वजह से दोस्त के कहने पर भृत्य के पद के लिए आवेदन करने किया था मौखिक परीक्षा देने के लिए पहुंचे थे। यहां यदि जॉब लगता है तो वे कंपनी की नौकरी छोड़ देंगे।
बिलासपुर के भूपेश जांगड़े ने बताया कि बीएससी और एमएससी जियोलॉजी की पढ़ाई कर चुके हैं। भूपेश ने बताया कि एमएससी पढ़ाई के बाद उन्हें जॉब नहीं मिल रही है, हर जगह काफी अधिक कॉम्पिटिशन है इस वजह से जॉब नहीं मिल पा रही है। इसे देखते हुए नियमित पद पर भृत्य की नौकरी के लिए आवेदन किया था।
जितेंद्र कुमार ने बताया कि आईटीआई की पढ़ाई करने के बाद उद्योगों में कहीं काम नहीं मिला। फिर डीएड किया, कुछ दिनों पहले टीईटी की परीक्षा की पास की है। व्याख्याता और शिक्षक के पदों की वैकेंसी नहीं निकल रही है। काम की जरूरत है भी है, कोर्ट में भृत्य के पद निकले तो सोचा कम से कम यही नौकरी मिल जाए।
सरकार की तमाम स्किल डेवलपमेंट, स्टार्टअप, स्वरोजगार संबंधी योजनाओं के बावजूद बेरोजगारी आलम देखिए कि चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए इंजीनियरिंग, एलएलबी, एमबीए और आईटीआई कर चुके लोग भी कतार में धक्के खाते खड़े रहे। पिछले एक-डेढ़ साल में सरकारी विभागों में नौकरी भी नहीं निकली। उद्योगों में मंदी के कारण आईटीआई और इंजीनियरिंग कर चुके युवा या तो बेरोजगार हुए हैं या फिर नौकरी गंवाई है।
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