Sunday, 1st June 2025

बिलासपुर / नई लाइन की टूट रही पटरियों से रोज 100 ट्रेनें गुजर रहीं, रेलवे को हजारों जिंदगियों की परवाह नहीं

Mon, Nov 25, 2019 7:02 PM

 

  • खतरे का सफर : रेल अफसरों को सब पता है, जांच और निरीक्षण में भी मिली है गड़बड़ी 
  • जिस तापमान पर वैल्ड हो रहा है उससे आसपास की पटरियों के कमजोर होने का खतरा 

बिलासपुर. बिलासपुर-कटनी रूट पर अप और डाउन को ट्रेनों को मिला लें ते दिनभर में 100 से अधिक ट्रेनें जर्जर व कमजोर पटरियों से गुजर रही हैं। नई लाइन पर पटरियां लगातार फ्रैक्चर हो रही हैं। ऐसे में ट्रेनों को बड़ा खतरा है। ट्रेनों को खतरे से बचाने ज्वाइंटस पर फिश प्लेट लगाए जा रहे हैं। जहां फ्रैक्चर होते जा रहा है वहां पर वेल्डिंग कराई जा रही है। ज्वाइंटस से तो खतरा है ही अब वैल्ड के अलावा पटरी ही टूटने लगी है।

बिलासपुर-कटनी रेल रूट पर अभी भी खतरा बरकरार

  1.  

    बिलासपुर-कटनी रेल रूट पर नई रेलवे लाइन में खतरा अभी भी बरकरार है। आरवीएनएल ने दूसरी लाइन का निर्माण कराया है। लाइन इसी वर्ष मार्च में शुरू की गई। तब से इस पूरी लाइन में पटरियों का दरकना, वैल्ड और पटरी का टूटना जारी है। अफसर इसे मामूली सा मामला मानते हैं। 100 से अधिक ट्रेनें यहां से गुजर रही हैं। 50 यात्री ट्रेन मान लें तो एक ट्रेन में अधिकतम 2400 से अधिक यात्री सफर करते हैं। ऐसे में ट्रेन हादसे का शिकार होती है हजारों यात्रियों की जान जा सकती है। 

     

  2. चूक हुई तो हादसा हो सकता है 

     

    पटरियों पर खराब वैल्ड और कुछ स्थानों पर साफ तौर पर पटरियों के टूटने की वजह से रेलवे अफसर परेशान हैं। नई रेलवे लाइन में खतरा बरकरार है इसलिए उन्होंने मैदानी अमले को पूरे समय चौकन्ना रहने कहा है जिससे समय रहते रेल फ्रैक्चर का पता लगाकर उसमें सुधार कर सकें। अन्यथा किसी दिन बड़ा हादसा हो जाएगा। 

     

  3. सलकारोड से पेंड्रारोड तक बढ़ाई पेट्रोलिंग 

     

    रेलवे प्रशासन ने सलकारोड से पेंड्रारोड तक रात्रि गश्त बढ़ा दी है। पहाड़ी इलाके में अब शिद्दत की ठंड पड़ने लगी है। जब ठंड शुरू हुई थी तब रेलपांत फ्रैक्चर हो रहे थे अब तो तेज ठंड पड़ने लगी है। ऐसे में पटरियों के और ज्यादा चटखने या फ्रैक्चर होने का खतरा है। 

     

  4. 2073 ज्वाइंटस पर नई वेल्डिंग होगी 

     

    पटरियों पर 2073 ज्वाइंटस पर नए सिरे से वेल्डिंग करना आसान नहीं है। एक दिन में 10 से अधिक स्थानों पर वैल्ड नहीं किए जा सकते। इसलिए कि पटरी पर ट्रेनों का परिचालन निरंतर जारी है। ऐसे में काम करना अत्यंत ही कठिन है। अफसरों ने इतना अवश्य किया है कि सभी ज्वाइंटस पर फिश प्लेट लगवाना शुरू कर दिया है। इसके बाद जहां-जहां भी पटरी फ्रैक्चर हो रही है वहां वैल्ड कराया जा रहा है। 

     

  5. कुछ भी हो सकता है 

     

    एक वरिष्ठ गैंगमैन ने बताया कि कभी भी कुछ भी हाे सकता है। सभी ज्वाइंटस पर फिश प्लेट लगाए तो जा रहे हैं लेकिन ये कारगर नहीं है। जैसे ही पटरी टूटती है या ज्वाइंट का वैल्ड फेल होता है तो पटरी का अलाइनमेंट भी बदल जाता है। यह अवश्य है कि ट्रेन को वहां पर धीमी गति से निकालकर सुरक्षित कर लिया जाता है लेकिन यह तो पता हाेने पर होता है। जहां पर पता नहीं चलता है वहां पर अगर ट्रेन की गति धीमी नहीं हुई तो बड़ा हादसा हो सकता है। 

     

  6. अफसरों को पहले दिन से पता 

     

    खोडरी से लेकर सारबहरा होते हुए पेंड्रारोड तक लगभग 35 किलोमीटर रेलवे लाइन में गड़बड़ी है। यह अफसरों को पहले दिन से पता है। जनवरी महीने में नई रेलवे लाइन का निरीक्षण कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी द्वारा किया जाना था। इससे पहले अफसरों ने पटरी की अल्ट्रासोनिक मशीन से जांच कराई तो पता चला कि 17 फ्लश बट वैल्ड खराब हैं। इसे अफसरों ने नए सिरे से करवाया। फिर सीआरएस का निरीक्षण हुआ। मार्च में रेलवे लाइन पर यात्री ट्रेनें शुरू हुईं और चौथे ही दिन सारबहरा के पास पटरी टूट गई थी। 

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