इंदौर . राजेंद्र नगर के जिस अाॅडिटाेरियम पर आईडीए ने 11.50 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, उसे बेचने के बोर्ड के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। सांसद व पूर्व आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी ने इस फैसले को अनुचित ठहरा दिया है। वहीं, खेल मंत्री जीतू पटवारी ने कहा ऑडिटोरियम को बेचा नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री से बात कर आईडीए बोर्ड के फैसले में संशोधन करवाएंगे।
ऑडिटोरियम को बेचने के बजाय उसे तैयार कर पश्चिम क्षेत्र की जनता और कलाकारों के लिए बेहतर विकल्प के रूप में बनाया जाएगा। इस ऑडिटोरियम को आईडीए ने 2009 में बनाया था। क्षेत्रीय पार्षद बलराम वर्मा ने कहा कि हम इस फैसले का पुरजोर विरोध करेंगे। पूरी कोशिश करेंगे कि इसे नहीं बेचा जाए। आईडीए मुनाफे के लिए इसे निजी व्यक्ति को बेचेगा। उक्त व्यक्ति इसमें पैसा लगाएगा तो उसकी मनमानी राशि वसूल भी करेगा। इससे कलाकारों का दोहन होगा।
सभी मामलों में आईडीए को व्यावसायिक नहीं होना चाहिए : सांसद
सांसद ने कहा ऑडिटोरियम बनाने का फैसला इसलिए लिया था कि कलाकारों को कला के प्रदर्शन के लिए पश्चिम क्षेत्र में एक मंच मिल सके। आईडीए को सभी मामलों में व्यावसायिक नहीं होना चाहिए। आईडीए में जनता का पैसा है। आईडीए कुछ काम जनता के लिए भी कर सकता है। बेहतर होता इसे शासकीय संस्था को ही सौंपा जाता।
ऑडिटोरियम बनाकर किसी संस्था को देना नियम में नहीं : सीईओ
आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय का कहना है आईडीए के मूल सिद्धांतों में दो ही काम हैं। प्लॉट या प्रॉपर्टी को बेचना और मास्टर प्लान की सड़कें बनाना। प्रॉपर्टी बेचने के दो नियम हैं। पहला- किसी प्रॉपर्टी का रेट फिक्स कर लॉटरी से उसे बेचा जाए। दूसरा- न्यूनतम दर के बाद उसकी नीलामी की जाए। ऑडिटोरियम को तैयार कर किसी संस्था को देना नियम में ही नहीं है।
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