जांजगीर. सड़क दुर्घटना में मृत उद्यान अधीक्षक के शव को कांधा देने व अंतिम संस्कार करने से उनके समाज के लोगों ने मना कर दिया। घर में डेड बॉडी रखी थी, घरवाले उनके जाने के दुख से दुखी थे, पत्नी, बच्चे घटना से उबर नहीं पाए थे कि समाज के लोगों ने नई शर्त रख दी कि जब तक 30 हजार रुपए अर्थदंड नहीं देंगे तब तक उनके शव को समाज का कोई व्यक्ति नहीं उठाएगा। घरवालों ने अपनी ओर से 5000 हजार रुपए देने की पेशकश भी की, पर बात नहीं बनी आखिरकार उनके शव को गायत्री परिवार के लोगों के साथ दूसरे गांव से आए उनके रिश्तेदारों ने कंधा दिया और अंतिम संस्कार किया।
समाजिक बहिष्कार का ऐसा कुरूप चेहरा जैजैपुर थाना क्षेत्र के ग्राम कचंदा में सामने आया है। कचंदा निवासी सीआर चौहान जशपुर में उद्यान अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे। 17 नवंबर को सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया। 19 नवंबर को उनकी डेड बॉडी उनके गृहग्राम कचंदा पहुंची। सामाजिक प्रक्रिया के दौरान ही गांव के समाज के लोगों ने यह शर्त रख दी कि उनके घर में उनके छोटे भाई दिलहरण चौहान ने पिछले साल तथा उनकी बहन ने दो साल पहले समाज के बाहर दूसरे समाज में शादी की है। उनका कहना था कि शादी करने के बाद सामाजिक रीति िरवाज के अनुसार खान पान उनके द्वारा नहीं की गई है, इसलिए सीआर चौहान के शव को नहीं उठाएंगे। यानि समाज के ठेकेदारों ने प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक बहिष्कार कर दिया। घर में डेड बॉडी थी। मानमनोव्वल का दौर भी शुरू हुआ। उनके घर के लोगों ने अपनी क्षमता के अनुसार कुछ धन देने के लिए सहमति भी दी, तब भी समाज के लोग नहीं माने।
यह बता जब गायत्री परिवार के लोगों को पता चली तो उन्होंने सामाजिक बंधन से परे होकर सीआर चौहान के शव को कंधा देने और अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया। गायत्री परिवार के सदस्यों ने ही प्रक्रिया की और कांधा देकर अंतिम संस्कार उनके बेटे से कराया।
ऐसी घटनाओं को रोकने का प्रयास करेंगे
जांजगीर जिले में ऐसी घटना हुई है, इसकी जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी समाज के लोगों से लेंगे, पर ऐसा हुआ है तो गलत व निंदनीय है। इसका प्रमुख कारण अशिक्षा है, समाज में इस प्रकार सामाजिक बहिष्कार की घटना नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार की घटना भविष्य में न हो इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।''- रामलाल चौहान, प्रदेश अध्यक्ष चौहान समाज छत्तीसगढ़
Comment Now