रायपुर . धान की खरीदी पर रायपुर से दिल्ली तक राजनीति गर्म है। प्रदेश सरकार ने सीमावर्ती राज्यों से तस्करी कर लाए गए धान को रोकने के लिए इन राज्यों से लगे प्रदेश के जिलों में चेकपोस्ट बना दिए हैं और धान की नाकेबंदी शुरू कर दी गई है। पड़ताल के मुताबिक प्रदेश में धान के रकबे और उत्पादन के अांकड़ों में सामने अाई बड़ी विसंगति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
दरअसल प्रदेश में जितना धान (पिछले साल 80 लाख टन) खरीदा जा रहा है, उसकी तुलना धान के रकबे से की जाए तो एक एकड़ पर धान का औसत उत्पादन लगभग 31 क्विंटल पड़ रहा है, जबकि यहां धान की खेती अधिकांशतया परंपरागत तरीके से हो रही है। इसकी तुलना में धान की बेहद उन्नत खेती करनेवाले राज्यों में से एक हरियाणा में ही यह औसत 22 क्विंटल से ज्यादा नहीं है। इसलिए माना जा रहा है कि उत्पादन से ज्यादा धान अवैध तरीके से यहां अाने लगा है और 2500 रुपए के रेट की वजह से यहीं के धान में मिलाकर बेचा जा रहा है।
प्रदेश में अवैध धान का मामला गर्म है। भास्कर ने इस मुद्दे की पड़ताल के लिए कृषि विभाग और मार्कफेड की अधिकृत वेबसाइट पर धान के रकबे और उत्पादन के सरकारी अांकड़ों की पड़ताल की। पता चला कि धान का रकबा यानी खेत वर्ष 2000 से अब तक 37-38 लाख हेक्टेयर के आसपास ही हैं। लेकिन इन 19 वर्षों में उत्पादन 23 लाख टन से बढ़कर 85 लाख टन तक हो गया है। सरकारी अांकड़े ही बता रहे हैं कि प्रदेश में करीब 32 लाख किसान धान की खेती कर रहे हैं, लेकिन सोसाइटी में धान बेचने के लिए 15-16 लाख किसान ही पंजीयन करवा रहे हैं। अर्थात, बचे हुए 15-16 लाख किसानों से धान खरीदा जा रहा है या नहीं, इसका कोई रिकार्ड सरकार के पास नहीं है।
एमएसपी पर खरीदी शुरू होते ही अचानक बढ़ गया उत्पादन
केंद्रीय कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार 25.27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान का राष्ट्रीय औसत है। जबकि छत्तीसगढ़ का औसत 22.12 है। 2011 से 2016 के बीच तक लगभग यही औसत देखा गया। सन 2007 में एमएसपी पर जैसे ही खरीदी शुरू हुई, उत्पादन 59 लाख टन तक पहुंच गया। जबकि इसके पहले साल यानी 2006 तक उत्पादन 50 लाख टन से नीचे ही था। 2018-19 में सरकार ने पंजीकृत 15.71 लाख किसानों से 80.4 लाख टन धान खरीदा। यह भी उसी 38 लाख हेक्टेयर खेती में पैदा हुआ।
जबकि लागत एवं मूल्य आयोग का अनुमान 2018-19 में 25.87 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की वेबसाइट भी छत्तीसगढ़ में 2016-17 में 38.3 लाख हेक्टेयर में 80.5 लाख टन धान होना बताया गया। यह प्रति हेक्टेयर 21.01 क्विंटल था। जबकि 2015-16 में 38.2 लाख हेक्टेयर में 57.9 लाख टन धान 15.17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ। जबकि 2016-17 में पंजाब में 39.98 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान हुआ।
धान के उत्पादन और विसंगति एक नजर में
वर्ष क्षेत्रफल उत्पादन धान खरीदी उत्पादकता
2000-01 37.18 23.37 4.63 13.30
2001-02 37.08 49.32 13.34 13.30
2007-08 35.68 58.87 31.57 16.49
2008 -09 36.10 61.14 37.47 16.93
2013-14 38.10 67.16 79.69 17.62
2016-17 38.38 80.48 69.59 20.96
2017-18 38.80 57.49 71.0 14.81
2018-19 38.00 00 80.4 अप्राप्त
(धान प्रति लाख टन और रकबा प्रति लाख हेक्टेयर में)
रकबा, उत्पादन और खरीदी का खेल पिछली सरकार का अब ऐसी विसंगति नहीं: चौबे
रकबे, धान के उत्पादन और खरीदी को लेकर जो खेल हुआ वह पहले की बातें हैं। अब ऐसी विसंगति नहीं होगी। सरकार ने भी प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान ही पंजीयन कराने वाले किसानों से खरीदने का फैसला किया है।
संदेहास्पद है, जांच हो: वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय की बेवसाइट एग्रीकॉप डॉट जीओवी डॉट आईएन समेत संबंधित संस्थाओं और प्रदेश की वेबसाइट दी गई जानकारियां मेल नहीं खातीं। रकबे और खरीदी के अांकड़े भी संदेहास्पद हैं।
किसी भी हाल में धान की इतनी खरीदी संभव नहीं: मनीष चंद्राकर
मोखला के किसान मनीष चंद्राकर के अऩुसार प्रदेश में सभी परिस्थितियां आदर्श (अनुकूल) रहीं तब भी 23-24 क्विंटल धान प्रति एकड़ धान ही पैदा होगा। प्रदेश के हर खेत को साइंटिफिक तरीके से फार्महाउस की तरह मेनटेन किया जाए, तब भी उत्पादन 28-29 क्विंटल से ज्यादा नहीं होगा। उन्नत किस्मों में संभव पर रकबा सीमित प्रदेश में हाईब्रिड की प्रोएग्रो व बायर किस्मों का उपयोग अंबिकापुर, बस्तर व सेंट्रल रीजन में होता है।
वहां की पैदावार केवल साढ़े 6 हजार टन है। अंबिकापुर रीजन में 3 हजार टन, बस्तर में हजार टन और सेंट्रल रीजन में करीब ढाई हजार टन उत्पादन होता है। सेंट्रल रीजन में अनुकूल परिस्थितियों में औसतन 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, अंबिकापुर में करीब 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है। इसी तरह, धान की उन्नत किस्मों स्वर्णा, एमटीयू 1110, एचएमटी करीब 25 लाख हेक्टेयर में बोया जाता है। जानकारों के अनुसार सारी परिस्थितियां अनुकूल होने पर प्रति हेक्टेयर (लगभग ढाई एकड़) में 60 क्विंटल धान हो सकता है। लेकिन हर साल ऐसा संभव नहीं है।
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