रायपुर . राजधानी की ऐसी लगभग 10 प्रमुख सड़कें जहां 60 फीसदी से ज्यादा हादसे और मौतें गाड़ियों की रफ्तार की वजह से हो रहे हैं, अब वहां पुलिस ने स्पीड पर कड़े नियंत्रण का सिस्टम बनाने की शुरुअात कर दी है। भास्कर अभियान के तीसरे ही दिन इन सड़कों पर पुलिस ऐसी गाड़ियां लेकर पहुंची, जो तेज रफ्तार की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हुईं और चलाने वालों की जान नहीं बची। इन गाड़ियों को प्रमुख जगहों पर रखकर पुलिस ने बैनर भी लगाए हैं जिनमें कहा गया है - लोहे की गाड़ियां तो बन भी सकती हैं लेकिन शरीर चकनाचूर हुअा तो दोबारा नहीं बनेगा। परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में स्पीड पर काबू करने के लिए सख्ती का फैसला लिया, तो मंगलवार को रायपुर एसएसपी ने अगले 20 दिन में प्रमुख सड़कों में गति का सर्वे और गति सीमा तय कर कार्रवाई शुरू करने का सिस्टम जारी कर दिया। यही नहीं, स्पीड के खिलाफ 1 दिसंबर से नए सिरे से कार्रवाई शुरू की जा रही है।
गाड़ियों से शहर में हो रहे सड़क हादसों को कम करने के लिए पुलिस जागरुकता की नई तरकीब अजमा रही है। हाईस्पीड और एक्सीडेंट में क्षतिग्रस्त हुए वाहनों को शहर की सड़क पर रखकर पुलिस लोगों को संदेश दे रही है कि हाईस्पीड के कारण लोहे के वाहनों की यह दुर्दशा है। लोहे के इन पार्टस को जोड़ा जा सकता है, लेकिन इंसान की जिंदगी वापस नहीं लाई जा सकती। इंसान का शरीर हड्डी और मांस से बना हुआ है। इसलिए सड़क पर चलते समय तय रफ्तार पर ही गाड़ी चलाएं। क्योंकि शहर में रफ्तार और खतरा दोगुना है। शहर की सड़कों पर तय रफ्तार से दोगुना गति से गाड़ी चल रही हैं।
डीएसपी सतीश ठाकुर ने बताया कि शहर की एेसी सड़कों पर क्षतिग्रस्त गाड़ियों को रखा जा रहा है, जहां पर सबसे ज्यादा हादसे हुए है। वहां पर लोगों की जानें भी गई है। इसमें पहले नंबर पर तेलीबांधा और दूसरे नंबर पर टिकरापारा इलाका है। इन्हीं इलाकों में क्षतिग्रस्त गाड़ियों को रखा गया है। शहर के बाकी खतरनाक सड़कों पर इन गाड़ियों को रखा जाएगा।
पुलिस ने यहां रखी गाड़ियां
ट्रैफिक पुलिस ने पचपेड़ी नाका रोड पर क्षतिग्रस्त गाड़ियों को डेढ़ घंटे रखा है। गाड़ियों को ऐसा रखा गया था कि दूर से देखने वालों को लगता कि यहां हादसा हुआ है। गाड़ियां सड़क पर टूटी-फूटी पड़ी हुई थी। हालांकि संदेश देने के लिए पीछे पुलिस ने पोस्टर लगाया है, ताकि लोग उसे देखकर जागरूक हो। पुलिस ने टिकरापारा इलाके को इसलिए चुना है क्योंकि पिछले 10 महीनों में यहां छोटी-बड़ी 110 हादसे हुए है। इसमें 15 लोगों की जान गई है। इसमें बाइक सवार युवा ज्यादा हैं। हादसे में 60 लोग घायल हुए है, जिनका पैर से लेकर हाथ फ्रेक्चर हो गया है। पुलिस ने दूसरा इलाका तेलीबांधा को चुना है। वहां पर देर शाम ढाई घंटे तक गाड़ियों काे रखा गया था। तेलीबांधा में 148 हादसे हुए है। इसमें 11 लोगों की जान गई और 80 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। यह शहर का व्यस्ततम और भीड़भाड़ वाला इलाका है। शहर के अलग-अलग सड़कों पर इसी तरह से गाड़ियों को रखकर पुलिस जागरूक करेगी।
शहर में 1803 हादसे सिर्फ 10 माह में, गईं 378 जानें
सड़क हादसे मौतें
शंकरनगर से तेलीबांधा 148 13
सिद्धार्थ चौक से रिंग रोड 110 15
केनाल रोड,अाकाशवाणी 107 3
रविवि से टाटीबंध चौक 90 12
खमतराई से रावांभाठा 86 19
पंडरी से जीरो पाइंट 50 3
आमापारा-अनुपम गार्डन 40 2
वीअाईपी चौक-एयरपोर्ट 51 11
(प्रमुख सड़कें जहां हादसे हाई स्पीड के कारण)
पुलिस के अभियान पर एसएसपी शेख अारिफ हुसैन के अनुसार
स्पीड ज्यादा हो तो डिजाइन की मामूली खामी से भी बड़े हादसे और शारीरिक क्षति
1. स्लिप होने का खतरा ज्यादा रहता है।
2. जर्जर सड़क और फैली बजरी खतरनाक।
3. डिवाइडर के लेन पर ध्यान देना चाहिए।
4. चौक की गलत डिजाइन से खतरा ज्यादा।
(ट्रैफिक इंजीनियर मनीष पिल्लीवार के अनुसार )
1. इसमें हडि्डयां चटखने का डर रहता है।
2. स्लिप डिस्क व सर्वाइकल का खतरा है।
3. सिर में चोट लगने की आशंका बढ़ती है।
4. गर्दन, सिर, कमर में चोट लगने का खतरा।
(डॉ. एस फुलझेले, एचओडी ऑर्थो के अनुसार)
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