अंबिकापुर . सरगुजा जिले में मक्के के बंपर उत्पादन के बाद भी किसानों ने सहकारी समितियों में बेचने के लिए पंजीयन में रुचि नहीं दिखाई। जिले में इस बार 45 हजार एकड़ में मक्के की खेती हुई है। पंद्रह हजार से अधिक किसान मक्के की खेती कर रहे हैं। वहीं साढ़े चार लाख क्विंटल तक उत्पादन का अनुमान है। जबकि रेट बढ़ने का प्रचार प्रसार नहीं होने से किसानों को जानकारी ही नहीं है। इससे मात्र 46 किसानों ने ही 35 हेक्टेयर एरिया का समितियों में मक्के की बिक्री के लिए पंजीयन कराया है।
भास्कर ने किसानों से समितियों में मक्का नहीं बेचने के कारणों की पड़ताल की। इसमें पता चला कि पिछले साल से तीन सौ रुपए प्रति क्विंटल रेट तो बढ़ा दिया गया है, लेकिन पुरानी व्यवस्था नहीं बदली है। इससे किसान सरकार को मक्का बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। पिछले सालों में मक्के में नमी और क्वालिटी को लेकर किसानों को परेशान होना पड़ा था। 14 प्रतिशत से अधिक नमी पर खरीदी नहीं की जाती है। समितियों में नमी मापक मशीन लगाई गई है और जांच के बाद ही खरीदी की जाती है। इससे मक्के का पूरा बाजार बिचौलियों पर निर्भर हो गया है। बाजार में क्वालिटी के हिसाब से 13 से 15 रुपए किलो के हिसाब से मक्का बिक रहा है। इससे किसानों को दो से चार रुपए प्रति किलो पर नुकसान हो रहा है।
मक्के का दाम 3 सौ रु. क्विंटल बढ़ा, इसकी भी किसानों को नहीं जानकारी
पिछले साल सिर्फ 14 ने बेचा था मक्का
पिछले साल मक्के का समर्थन मूल्य बढ़ने के बाद 215 किसानों ने पंजीयन कराया था, लेकिन आधे किसान भी समितियों में नहीं पहुंचे थे। दो साल पहले मात्र 14 किसानों ने समितियों में मक्का बेचा था। इस साल भी यही स्थिति है। किसानों का कहना है कि पिछले साल मक्का लेकर घर से समितियों के चक्कर लगाते रहे और कहा जाता रहा कि मई तक खरीदी होनी है।
केंद्रों की दूरी ज्यादा इसलिए रुचि नहीं
अधिकारियों का कहना है कि सभी ब्लाॅक मुख्यालयों में खरीदी की जाती है। कई गांव ब्लाॅक से दूर हैं। किसान परिवहन खर्च से बचने के लिए मक्का बाजार में ही बेच देते हैं। एक बड़ा रीजन यह है कि सहकारी समितियों में खरीदी देरी से शुरू होती है। वहीं किसान तब तक मक्का रखने के लिए इंतजार नहीं करते। किसानों पर कर्ज भी होता है, इसलिए यहां बेच देते हैं।
बाजार में रेट ठीक मिल रहा होगा: फूड आॅफिसर
खाद्य अधिकारी रविंद्र सोनी ने बताया कि सहकारी समितियों में मक्के की खरीदी की व्यवस्था की गई है। बाजार में रेट ठीक मिल रहा होगा इसलिए किसान समितियों में मक्का बेचने में रुचि नहीं ले रहे हैं।
रेट सही मिले तो 1 हेक्टेयर में 35 हजार तक का मुनाफा
मक्के का उत्पादन सही हो और रेट सही मिले तो 35 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर लाभ होगा। प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल इस बार औसत मक्के का उत्पादन हुआ है। किसानों के अनुसार एक हेक्टेयर पर 20 से 25 हजार रुपए खर्च है।
जानकारी नहीं, इसलिए बाजार में 11 रु. में बेच रहे
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