भोपाल | राजधानी के लोग मटमैला और सीवर मिला पानी पी रहे हैं। क्योंकि, फिल्टर प्लांटों पर लापरवाही बरती जा रही है और जगह-जगह पानी सप्लाई की लाइन सीवर लाइन के साथ-साथ बिछी हुई है। बड़े तालाब के फिल्टर प्लांटों पर अनुभवहीन कर्मचारी अंदाज से ही क्लोरीन मिला रहे हैं। कोलार में फिल्टर प्लांट की स्थिति थोड़ी ठीक है, लेकिन पुरानी पड़ चुकी पाइप लाइनें सीवेज के पास से गुजर रही है, इससे पानी दूषित हो रहा है। ब्यूूरो अॉफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) ने भोपाल सहित देश के 20 शहरों के पानी की जांच की। इसमें भोपाल के सभी 10 सैंपल चार मानकों पर फेल हो गए और वह देश में 10वें स्थान पर रहा।
भोपाल के सभी 10 सैंपल इन 4 मानकों पर फेल
टर्बिडिटी
कॉलीफार्म
ई- कोलाई
कलर
वाटर सप्लाई सिस्टम की हकीकत बताती ऐसी तस्वीरें पूरे शहर में
पुराने हो गए फिल्टर प्लांट, नए बनाना जरूरी
भोपाल के पानी में मिट्टी और सीवेज मिल रहा है। फिल्टर प्लांट पुराने हो गए हैं और इन्हें बैक्टीरिया फ्री रखने की जरूरत है। नए प्लांट बनाए जाएं, ताकि डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क छोटा हो, इससे फिल्ट्रेशन के बाद पानी कम दूषित होता है।
- डॉ. सरिता श्रीवास्तव, एचओडी (कैमिस्ट्री), आईएचई
एक्यूआई 440 के पार
भोपाल की हवा दिल्ली से भी खराब
भोपाल में पीएम-10 का स्तर बढ़ने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 440 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। यह स्थिति शaनिवार रात 8 बजे से लेकर शनिवार-रविवार की दरमियानी रात तीन बजे तक रही। इसी दौरान पीएम-2.5 के अधिकतम 370 के स्तर तक पहुंचने के कारण भोपाल में एक्यूआई 239 तक हो गया।
ऐसे में भोपाल में ऑक्सीजन दिल्ली (एक्यूआई 212) से खराब रही। केंद्रीय प्रदूषण की वेबसाइट पर भोपाल के टीटी नगर और दिल्ली की 19 जगह पर एक्यूआई के आंकड़े पर उपलब्ध हैं। शनिवार रात 8 बजे से रविवार शाम 6 बजे तक भोपाल में एक्यूआई 239 तक पहुंच गया, जबकि दिल्ली में 19 में से 5 स्थानों पर ही यह भोपाल से ज्यादा रहा। अगर पीएम-10 की बात की जाए तो भोपाल में दिल्ली के मुकाबले सबसे खराब रहा।
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