Friday, 13th June 2025

मप्र / क्योंकि...सीवेज लाइन के साथ बिछी पाइपलाइन और फिल्टर प्लांट में अंदाज से मिला रहे क्लोरीन

Mon, Nov 18, 2019 5:41 PM

 

  • नलों से आ रहा मटमैला और बैक्टीरिया मिला पानी, जो लोगों को कर रहा बीमार  

 

भोपाल | राजधानी के लोग मटमैला और सीवर मिला पानी पी रहे हैं। क्योंकि, फिल्टर प्लांटों पर लापरवाही बरती जा रही है और जगह-जगह पानी सप्लाई की लाइन सीवर लाइन के साथ-साथ बिछी हुई है। बड़े तालाब के फिल्टर प्लांटों पर अनुभवहीन कर्मचारी अंदाज से ही क्लोरीन मिला रहे हैं। कोलार में फिल्टर प्लांट की स्थिति थोड़ी ठीक है, लेकिन पुरानी पड़ चुकी पाइप लाइनें सीवेज के पास से गुजर रही है, इससे पानी दूषित हो रहा है। ब्यूूरो अॉफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) ने भोपाल सहित देश के 20 शहरों के पानी की जांच की। इसमें भोपाल के सभी 10 सैंपल चार मानकों पर फेल हो गए और वह देश में 10वें स्थान पर रहा।

भोपाल के सभी 10 सैंपल इन 4 मानकों पर फेल

टर्बिडिटी

  •   इसका अर्थ है पानी में मिट्टी व अन्य सॉलिड पार्टिकल मिले हुए हैं। इसे दूर करने के लिए प्लांट में क्लोरिनेशन किया जाता है।
  •  कोलार लाइन में चूना भट्टी के पास दोबारा क्लोरिनेशन होता है, लेकिन लीकेज के कारण पानी में मिट्टी मिल रही है। 
  •  बड़े तालाब के फिल्टर प्लांट में अस्थायी कर्मचारी अंदाज से क्लोरीन मिक्स कर देते हैं।  

कॉलीफार्म 

  •  यह बैक्टीरिया है और यह सीवेज व हाॅस्पिटल वेस्ट में पाया जाता है। 
  •  फिल्टर प्लांट पर पानी को ट्रीटमेंट से पहले जांचना चाहिए और बैक्टीरिया मिलने पर कैमिकल ट्रीटमेंट होना चाहिए।
  •  कोलार में हर घंटे पानी की जांच हो रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पानी में बैक्टीरिया नहीं है। 

 ई- कोलाई

  •  यह कॉलीफार्म की तरह सीवेज और हाॅस्पिटल वेस्ट में पाया जाने वाला बैक्टीरिया है। 
  •  इसे भी कॉलीफार्म की तरह कैमिकल ट्रीटमेंट से दूर किया जाना चाहिए।
  •   फिल्टर प्लांट पर ट्रीटमेंट ठीक हो जाए तब भी पानी और सीवेज लाइनें साथ बिछी होने से दूषित होना तय है। 

कलर 

  •  पीने के पानी में कोई कलर नहीं होना चाहिए, लेकिन टर्बिडिटी होने पर पानी का रंग मटमैला होना स्वाभाविक है।
  •  फिल्टर प्लांट पर व्यवस्था होना चाहिए कि पानी सप्लाई से पहले उसका कलर चेक किया जाए। 
  •  ओवरहेड टैंक की सफाई नहीं होने से पानी में गंदगी मिलती है और कलर मटमैला हो जाता है।

वाटर सप्लाई सिस्टम की हकीकत बताती ऐसी तस्वीरें पूरे शहर में 

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पुराने हो गए फिल्टर प्लांट, नए बनाना जरूरी
 भोपाल के पानी में मिट्टी और सीवेज मिल रहा है। फिल्टर प्लांट पुराने हो गए हैं और इन्हें बैक्टीरिया फ्री रखने की जरूरत है। नए  प्लांट बनाए जाएं, ताकि डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क छोटा हो, इससे फिल्ट्रेशन के बाद पानी कम दूषित होता है।
- डॉ. सरिता श्रीवास्तव, एचओडी (कैमिस्ट्री), आईएचई

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एक्यूआई 440 के पार

भोपाल की हवा दिल्ली से भी खराब 
भोपाल में पीएम-10 का स्तर बढ़ने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 440 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। यह स्थिति शaनिवार रात 8 बजे से लेकर शनिवार-रविवार की दरमियानी रात तीन बजे तक रही। इसी दौरान पीएम-2.5 के अधिकतम 370 के स्तर तक पहुंचने के कारण भोपाल में एक्यूआई 239 तक हो गया।

ऐसे में भोपाल में ऑक्सीजन दिल्ली (एक्यूआई 212) से खराब रही। केंद्रीय प्रदूषण की वेबसाइट पर भोपाल के टीटी नगर और दिल्ली की 19 जगह पर एक्यूआई के आंकड़े पर उपलब्ध हैं। शनिवार रात 8 बजे से रविवार शाम 6 बजे तक भोपाल में एक्यूआई 239 तक पहुंच गया, जबकि दिल्ली में 19 में से 5 स्थानों पर ही यह भोपाल से ज्यादा रहा। अगर पीएम-10 की बात की जाए तो भोपाल में दिल्ली के मुकाबले सबसे खराब रहा। 

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