भोपाल . प्रदेश में 80 हजार करोड़ रुपए के ई-टेंडर घोटाले की जांच में नया तथ्य सामने आया है। दरअसल, जांच के दौरान करीब एक माह पहले ईओडब्ल्यू को शिकायत मिली है कि एक सीनियर आईएएस अफसर द्वारा फ्रांस में निवेश के लिए पैसा भेजा गया है। इस अफसर के एक रिश्तेदार फ्रांस में किसी निजी कंपनी में लंबे समय से पदस्थ हैं। ईओडब्ल्यू ने इस शिकायत पर जांच शुरू कर दी है। हालांकि जांच एजेंसी अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है।
9 टेंडरों में टेम्परिंग की पुष्टि, 35 की जांच रिपोर्ट का इंतजार
ई-टेंडर में टेम्परिंग की पुष्टि कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टींम (सीईआरटी) ने की थी। ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले से जुड़े अन्य 35 टेंडरों को भी जांच के लिए सीईआरटी के पास भेजा है। इनकी जांच रिपोर्ट अभी आना बाकी है। अभी तक 9 टेंडरों की जांच में टेम्परिंग की पुष्टि हुई है। उल्लेखनीय है कि ई-टेंडर में टेम्परिंग की पुष्टि सीईआरटी ने 13 हार्ड डिस्क की जांच के बाद भेजी रिपोर्ट में की थी।
हवाला के जरिए पांच साल तक निवेश के लिए विदेश भेजा गया पैसा
सूत्रों के मुताबिक यह वरिष्ठ आईएएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं। शिकायत की प्रारंभिक पड़ताल के बाद ईओडब्ल्यू ने ई-टेंडर घोटाले की जांच में कुछ नए बिंदु शामिल हैं। इसमें शैल कंपनियों के माध्यम से फ्रांस में बड़ी राशि भेजने का भी बिंदु शामिल है। बीते पांच साल में कितना पैसा हवाला के जरिए भेजा गया, ईओडब्ल्यू ने इस तथ्य को खंगालना शुरू कर दिया है।
ऐसे पकड़ में आया था घोटाला
भाजपा सरकार में ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम में गड़बड़ी मिली थी। तत्कालीन प्रमुख सचिव मैप आईटी मनीष रस्तोगी ने जल संसाधन, एमपीआरडीसी और जल निगम के टेंडर में टेम्परिंग पाई थी। ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल को केस दर्ज कर जल निगम, जल संसाधन, एमपीआरडीसी और पीडब्ल्यूडी के तीन हजार करोड़ के 9 टेंडरों की जांच शुरू की। जांच का दायरा ई-प्रोक्योरमेंट शुरू होने के बाद 2012 से 2019 तक 80 हजार करोड़ रुपए के वर्तमान प्रोजेक्ट तक बढ़ाया जा चुका है।
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