कोलंबो. श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मतदानों की गिनती लगभग पूरी हो चुकी है। विपक्ष के उम्मीदवार गौतबाया राजपक्षे को निर्णायक बढ़त मिल चुकी है। चुनाव आयोग के आधिकारिक ऐलान से पहले ही सरकार की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए सजीत प्रेमदासा ने हार कबूल कर ली। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजपक्षे को बधाई दी। मोदी ने कहा, “गौतबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर बधाई। आपके साथ दोनों देशों और नागरिकों के बीच संबंध गहरे करने और क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा बढ़ाने के लिए काम करने को उत्साहित।”
श्रीलंका के चुनाव आयोग के मुताबिक, राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की श्रीलंका पोदुजना पेरमुना (एसएलपीपी) से उम्मीदवार राजपक्षे फिलहाल 49.6% मतों के साथ आगे चल रहे हैं। वहीं, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) से उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे सजीत प्रेमदासा 44.4% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर हैं। तीसरे स्थान पर लेफ्ट पार्टी के कुमारा दिसानायके हैं। उन्हें अब तक 4.69% वोट मिले हैं।
राजपक्षे को सिंहली बहुल इलाकों में समर्थन
राजपक्षे के प्रवक्ता केहेलिया रम्बुकवेला ने इसे गौतबाया की जीत करार दिया। उन्होंने कहा, “हमें 53 से 54% के बीच वोट मिले हैं। यह हमारी साफ जीत है। सोमवार या उसके एक दिन बाद उनका शपथग्रहण हो सकता है।” राजपक्षे को देश के ज्यादातर सिंहली बहुल इलाकों का समर्थन मिला है, जबकि प्रेमदासा श्रीलंका के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्रों में रहने वाले अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के बीच लोकप्रिय हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि वह रविवार शाम तक नतीजे घोषित कर सकता है।
मतदान के लिए बड़ी संख्या में निकले लोग
चुनाव आयोग के प्रमुख महिंदा देशप्रिय ने बताया कि 1.59 कराेड़ मतदाताओं के लिए देशभर में 12,845 मतदान केंद्र बनाए गए थे। मतदान के दाैरान हिंसा की घटनाओं के बावजूद 80% वाेटिंग हुई। इस बार चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए 32 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा। इसलिए मतपत्र 26 इंच का था, जो अब तक के चुनावों में सबसे लंबा है। पश्चिम श्रीलंका में एक जगह कुछ अज्ञात लाेगाें ने मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं काे ले जा रही दाे बसाें पर पथराव के बाद गाेलीबारी की। हालांकि इसमें किसी काे चाेट नहीं लगी। पथराव से बसाें के शीशे टूट गए। चुनाव में छिटपुट हिंसा के 69 मामले दर्ज किए गए हैं।
ईस्टर हमले के बाद पहला बड़ा चुनाव
देश में ईस्टर हमले के बाद पहला चुनाव होने के कारण सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई है। मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। देश भर में 60 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। बैलेट पत्र पर मतदाताओं को तीन शीर्ष प्रत्याशियों के चयन का विकल्प दिया गया था।
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