Saturday, 31st May 2025

सर्वे / 38% बच्चों को कुपोषण, 42% को एनीमिया, हर साल 9% को डायरिया; 24% को नहीं लग पा रहे सभी टीके

Fri, Nov 15, 2019 7:47 PM

 

  • दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, जशपुर, कबीरधाम  और नारायणपुर में चिंताजनक स्थिति
  • बच्चों की हेल्थ के पैसे से अफसरों ने कुर्सी-मेज खरीदी, कार्रवाई के बजाय 12 साल से जांच ही

 

भिलाई   नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-3 के दस साल बाद भी छत्तीसगढ़ में  38% बच्चों को  कुपोषण और 42% को एनीमिया (खून की कमी) है। ढेर सारी योजनाएं चलाने के बाद भी कुपोषण को तबसे अबतक हम 12% और एनीमिया को करीब 30% ही कम कर सके हैं।


दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, जशपुर, कबीरधाम और नरायनणपुर में दोनों बीमारियां का प्रकोप ज्यादा है। इन जिलों में अभी भी 45% बच्चे  कुपोषित और 65% एनीमिया की चपेट में हैं। यही नहीं 9% बच्चों को हर साल डायरिया हो रहा है। इनमें 80 प्रतिशत बच्चे हालांकि ओआएस घोल लेकर ही स्वस्थ हो जाते हैं। लेकिन डायरिया संक्रमण का प्रतिशत कम नहीं हो रहा है। सम्पूर्ण टीकाकरण में  छत्तीसगढ़ की परफॉर्मेंस पड़ोसी राज्यों बिहार  62%, मध्यप्रदेश 54%, झारखंड 62% से अच्छी 76 % है, इसके बाद भी प्रदेश में 24% बच्चों को हर साल जरूरी टीका नहीं लग पा रहा। यही नहीं 2% बच्चे अभी भी एयआरआई की चपेट में आ रहे हैं।

 

db

सीधी बा: डॉ. नीरज कुमार बंसोड़, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं

प्रदेश में 38% बच्चे कुपोषित और 42% को एनीमिया है। आप लोग कर क्या रहे हैं?

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है।  कुपोषण उन्मूलन पखवाड़ा भी कर रहे हैं। आगे हम और भी बेहतर करेंगे।

हर साल  औसतन 9% बच्चे डारिया ग्रस्त हो जाते हैं, 24% बच्चों को टीका भी नहीं, क्यों?
डायरिया के कारण और उसेे रोकने के उपायों की समीक्षा की जा रही है। इसलिए रोटा वायरस का टीका लगाया जा रहा है। टीकाकरण बढ़ाने पर जोर है।


दंतेवाड़ा, कांकेर और  बस्तर में स्थिति ज्यादा दयनीय है, बेहतरी के लिए क्या प्लान है?
जिला वार डाटा एनालिसीस कर रहे हैं। जिन  जिलों में चाइल्ड हेल्थ की स्थिति ठीक नहीं उनके लिए प्लान बनाया जा रहा है। विशेष योजनाएं संचालित हैं।

सभी सीएमएचओ पर 7 करोड़ धनराशि के दुरुपयोग का लगा था आरोप 
चाइल्ड हेल्थ का ऐसा हाल इसलिए क्योंकि बच्चों  के स्वास्थ्य संबधी योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्ट्राचार पाए जाने पर भी सरकारें त्वरित कार्रवाई नहीं करतीं। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी करीब 7 करोड़ की धनराशि के गलत इस्तेमाल के जिस मामले की शिकायत 2006 में तत्कालीन सचिव ने की थी, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अब तक उसकी जांच कर रहा है। जबकि बच्चों के स्वास्थ्य जांच के लिए मिले पैसे को सरपंच व एएनएम के खाते में भेजने की बजाय जिले के सीएमएचओ के खाते में डालने के बाद संचालनालय से लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बंदरबाट किया था। किसी ने दफ्तर के लिए कुर्सी-मेज, तो किसी ने ज्यादा कीमत में दवाएं खरीद जबरदस्त कमीशनखोरी की थी।

करीब सात करोड़ की हेराफेरी, 12 साल से सिर्फ जांच 
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े इस मामले में जिम्मेदारों ने राज्य की ग्रामीण स्वास्थ्य समितियों को बच्चों की सेहत के साथ-साथ स्वास्थ्य की अन्य जरूरतों में खर्च करने के लिए अंवाटित राशि को सरपंच और एएनएम के खाते में न भेज, सभी सीएमएचओं के खातों में भेज दिया। सभी ने मिलकर छह करोड़ से ज्यादा की बंदरबांट की।

सही इस्तेमाल होता तो तस्वीर बेहतर होती!
ग्रामीण स्वास्थ्य समिति को भेजा जाने वाला पैसा अगर उनके खाते में पहुंचा होता तो 2005 से बच्चों की सेहत के ग्राफ में गिरावट कम होती। बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर सकते थे।

जानिए इस भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन जिम्मेदार..

  • संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं (तत्कालीन)
  • जिलों में तैनात सीएमएचओ (तत्कालीन)
  • तत्कालीन लेखा सहायक (संचालनालय)

अभी क्या स्थिति

  • 38% बच्चे कुपोषण का शिकार
  • न्यूट्रीशियन सेल नहीं बना
  • मेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग बंद
  • न्यूट्रीशियन व फ्रीडिंग डेमोंस्ट्रेटर भी नहीं
     

क्या किया जा रहा

  • कुपोषण से निपटने प्रचार-प्रसार
  • न्यूट्रीशियन का काम, जिम्मा मितानिनों को
  • एमबीबीएस बनाए शिशुरोग विशेषज्ञ
  • खाद्य सामग्री की टेस्ट ही नहीं

क्या होना चाहिए

  • न्यूट्रीशियन कंसल्टेंट व फ्रीडिंग डेमांेस्ट्रेटर अनिवार्य
  • विशेष पोषण केंद्र व विशेषज्ञ, जो जांच करते रहें
  • प्रोटीन पावडर टेस्ट के बाद दें
  • अस्पतालों में पीडियाट्रीशियन की संख्या बढ़ाएं।
     

बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं। डेटा व जरूरी जानकारी हेल्थ डायरेक्टर दे पाएंगे। - डॉ. अमर सिंह ठाकुर, डिप्टी डायरेक्टर चाइल्ड प्रोग्राम

(नोट- जानकारी एनएफएसएच-3 और एनएफएसएच-4 से।)

 
 

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery