रायपुर. छत्तीसगढ़ कें एक पहल के तहत बच्चों को उनके अधिकार दिलाने का जिम्मा बच्चों को ही सौंपा जा रहा है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसके लिए खुफिया बाल मितान (बच्चों के दोस्त) बनाए हैं। खुफिया इस वजह से क्योंकि यह बच्चे अपने आस-पास होने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी सीधे आयोग को देते हैं। इनकी पहचान को आयोग उजागर नहीं करता। आयोग ने बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों कांकेर, नारायणपुर, केशकाल, कोंडागांव के बेहद अंदरुनी गांव मालाकोट और जगदलपुर में बाल चौपाल की बैठक के बाद लगभग 400 से ज्यादा बच्चों को बाल मितान बनाया है। बाल मितानों से आयोग के पास बच्चों द्वारा नशा किए जाने, नारायणपुर के गांव के हॉस्टल में जबरन कुछ बच्चों को रखने, यहां तक की बाल तस्करी की शिकायतें भी पहुंची, जिन पर कार्रवाई की गई।
बाल आयोग की अध्यक्षा प्रभा दुबे ने बताया कि हाल ही में सूरजपुर जिले में वह बाल चौपाल की बैठक ले रहीं थीं। बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में बताया जा रहा था। यहां भी बच्चों को बाल मितान बनाया गया। एक बाल मितान ने कार्यक्रम के बाद प्रभा दुबे के कान के पास आकर कहा कि उसकी सहेली की शादी छोटी उम्र में जबरदस्ती करवाई जा रही है। इस जानकारी पर आयोग की टीम फौरन हरकत में आई और मौके पर जाकर इस शादी को रुकवाया। इस तरह की जागरुकता के वजह से आयोग तक पहुंची जानकारियों की मदद से एक साल के अंतराल में राज्य भर में 350 के करीब बाल विवाह रुकवाए गए हैं।
आयोग की तरफ से समय-समय पर बाल चौपाल कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। करीब 2 से 3 घंटे के कार्यक्रम में बच्चे और उनके माता पिता बाल अधिकारों के बारे में जानकारी लेते हैं। इस दौरान छोटे तोहफे देकर भी बच्चों को उत्साह वर्धन किया जाता है। अब तक 23 जिलों में लगभग 42 बाल चौपालों का आयोजन किया जा चुका है, जिनमें 1500 बच्चे आयोग से जुड़कर खुफिया बाल मितान बन चुके हैं। इसके लिए एक फॉर्म बच्चों से भरवाया जाता है। इसकी जानकारी गोपनिय रखी जाती है। कोई भी इच्छुक बच्चा बाल मितान बन सकता है, इससे जुड़ी जानकारी 18002330055 आयोग के टोल फ्री नंबर से भी ली जा सकती है।
1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक | 93 |
निराकृत | 71 |
प्रक्रिया में | 22 |
1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक | 108 |
निराकृत | 80 |
प्रक्रिया में | 28 |
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