Saturday, 31st May 2025

छत्तीसगढ़ / नए सत्र से कोर्स में शामिल होगा ट्रैफिक चैप्टर, अब इनोवेशन का प्लेटफार्म भी स्कूलों में : मुख्यमंत्री बघेल

Thu, Nov 14, 2019 7:28 PM

 

  • बाल दिवस पर चुनिंदा 10 छात्र-छात्राओं के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास पर की बात
  • दैनिक भास्कर द्वारा ऑनलाइन क्विज के माध्यम से चयनित हुए थे प्रदेश भर से ये बच्चे
  • सीएम ने उन्हें लक्ष्य तय कर संघर्ष करने की प्रेरणा दी। कहा- मेहनत करें, मेहनत का कोई विकल्प नहीं

 

रायपुर  . मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार में स्कूल एजुकेशन को प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा है। स्कूलों में वे अब केवल किताबी पढ़ाई कराने के बजाय बड़े पैमाने पर बदलाव की सोच रहे हैं। अपनी याेजना के बारे में उन्होंने बच्चों को बताया कि ट्रैफिक की पढ़ाई हर स्तर पर अलग-अलग हाेगी। इसके अलावा स्कूलों में ही इनोवेशन का प्लेटफार्म तैयार कर रहे हैं। शिक्षा में बच्चों की रुचि देखते हुए सीएम ने इस मुद्दे पर काफी देर तक बातें की। उन्होंने साफ कहा कि सरकारी-निजी स्कूलों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है।

एक या दो सरकारी स्कूलों में अच्छी व्यवस्था देने से काम नहीं चलेगा। बल्कि इसके लिए एक सुनियोजित योजना के साथ व्यापक स्तर पर बदलाव की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री से बच्चों ने प्रदेश की शिक्षा, रोजगार, मेट्रो ट्रेन, खेल सुविधा, पर्यटन, साइबर क्राइम, ट्रैफिक, आईटी, सरकारी स्कूलों का कायाकल्प, छत्तीसगढ़ी भाषा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने से जुड़े सवाल पूछे। इसमें रायपुर से अलग अलग स्कूल के चार, बिलासपुर से चार और भिलाई के दो बच्चे शामिल हुए।

सवाल. ट्रैफिक और साइबर क्राइम आज एक बड़ा इश्यू है। इसकी जागरूकता के लिए क्या स्कूल सिलेबस में इसे शामिल करेंगे, जिससे कि बच्चों को स्कूल से ही इसकी शिक्षा मिल पाए? साइबर क्राइम को रोकने के लिए सरकार क्या करेगी? अाकांक्षा दास, ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल रायपुर 
जवाब : हां सही है, ट्रैफिक जीवन से जुड़ा मुद्दा हो गया है। छोटी सी दुर्घटना बड़ा नुकसान पहुंचाती है। हम नए सत्र से स्कूली शिक्षा के हर पाठ्यक्रम में इसे अलग-अलग क्लास के स्तर पर शामिल करेंगे, ताकि बचपन से अनुशासन आए। जहां तक साइबर क्राइम की बात है तो इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है। हम भारत सरकार को पत्र लिखेंगे।

सवाल. बच्चों को इनोवेटिव व साइंटिस्ट बनाने के लिए हमारे यहां कुछ नहीं है। रायपुर में सिर्फ साइंस सेंटर ही है जहां माॅडल रखे हैं, ट्रेनिंग नहीं मिलती। प्रदेश को इनोवेशन हब बनाने के लिए क्या करेंगे? अक्षित अर्श, केपीएस भिलाई
जवाब : इसकी स्कूल स्तर पर ही पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं से तैयारी शुरू हो जानी चाहिए। अपने पसंद का काम करें। अवसर देने की जरूरत है। प्रशिक्षण देने की जरूरत है। मॉडल दिखाने से कुछ नहीं होगा, इसके लिए विशेषज्ञों का होना अनिवार्य है। इस दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है। अब स्कूलों में ही बच्चों को इनोवेशन का प्लेटफार्म दिया जाएगा। 

सवाल : हमें आईटी की बेहतर शिक्षा व जॉब के लिए अभी भी पुणे, बेंगलुरू, चेन्नई आदि बड़े शहरों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। इस दिशा में शासन की क्या बेहतर योजना है, जिससे कि हमारे यहां की प्रतिभा का ब्रेन ड्रेन न हो? 
- सोमेश शर्मा, डीपीएस बिलासपुर
जवाब : मुख्य बात है कि शासन और समाज दोनों के मिलने से ही इस समस्या का निराकरण हो सकता है। बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश में इंदौर और छत्तीसगढ़ में भिलाई एजुकेशन हब है। हमारे यहां प्रतिभा की कमी नहीं है। 


सवाल : दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों को पूरी तरह बदलकर रख दिया है और देशभर में मॉडल बन गया है। हमारे यहां के सरकारी स्कूल कब दिल्ली के स्कूलों की तरह विकसित हो पाएंगे? 
-नीतिश भारद्वाज, गवर्नमेंट स्कूल बिलासपुर
जवाब : निजी स्कूलों की तरह हमारे शासकीय स्कूल होना चाहिए। अब आप रायपुर के कोटा का ही विवेकानंद विद्यापीठ को देख लीजिए, वह अपने काम का प्रचार नहीं करते हैं। वहां सारा काम हो रहा है। पढ़ाई अच्छी है। खेल में भी बोरे में ट्राफियां भरी हुई हैं। वहां सबसे कम अंक पाने वाला कोई एक ही छात्र होता है, जिसका 59.5 फीसदी अंक होता है। हमारी कोशिश होगी कि ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़ाएं। 


सवाल : छत्तीसगढ़ी को कोर्स में कब शामिल करेंगे? हर प्रदेश का अपनी मातृभाषा का पाठ्यक्रम स्कूल के कोर्स में शामिल है। छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे? 
-खुशी उपाध्याय, मदर प्राइड स्कूल रायपुर
जवाब : भले ही हमारी लिपि देवनागरी है, लेकिन इसमें हल्बी, गोंडी, सरगुजिहा समेत राज्य में बोली जाने वाली सभी बोलियों को शामिल किया गया है। इसका टेप भी जारी किया गया है। इसमें सभी भाषा के शब्दकोश हैं। प्राइमरी से इसकी शुरुआत करेंगे। हमने विधानसभा में इसे पारित कर दिया है। अनुच्छेद-8 में इसे शामिल करना है। लोकसभा में अनुमोदन जरूरी है। 


सवाल : हमारे यहां मेट्रो कब चलेगी? हमारे पड़ोसी शहर नागपुर, भोपाल, इंदौर में इसकी तैयारी हो गई है। 
-मुकंद कुशवाहा, डीएवी स्कूल बिलासपुर
जवाब :  यहां भी चर्चा चली है। रायपुर ही क्यों, हम चाहते हैं नांदगांव, जगदलपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर तक यह सुविधा मिले। वो इतनी महंगी है कि हमारे सारे प्रोग्राम प्रभावित हो जाते हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि खर्च भी कम हो और मेट्रो जैसी सुविधा मिले। इस पर दो बैठकें हो चुकी हैं। हम ऐसी योजना लाएंगे, जो सस्ती हो। इसके लिए दो कंपनियों से बात भी हो रही है। 


सवाल : मध्यप्रदेश आज दुनिया में टूरिज्म को लेकर बड़ा नाम है। छत्तीसगढ़ में बड़े स्पॉट हैं, लेकिन 19 साल में कोई योजना नहीं बनी, जिससे कि देश-दुनिया के लोग यहां घूमने आ सकें।
- समीक्षा वर्मा, ब्राइटन स्कूल रायपुर
जवाब : छत्तीसगढ़ में नियाग्रा से अच्छे चित्रकोट, तीरथगढ़ जैसे वाटर फॉल हैं तो कोरिया, जशपुर, सरगुजा के जंगलों में एडवेंचर स्पॉट्स हैं। बीते सालों में हम इनका प्रचार नहीं कर पाए। विश्व पर्यटन के नक्शे पर इन्हें प्रचारित करने के लिए  नए सिरे से काम कर रहे हैं।


सवाल : छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में 55 से 77 फीसदी बच्चे मिडिल के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। इस 
ड्रॉपआउट को रोकने सरकार क्या पहल कर रही है?
- के सोनिया, रेलवे स्कूल बिलासपुर
जवाब : आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता पढ़ाई छुड़वा देते हैं। यह ठीक नहीं है। इसे देखते हुए हमने 12वीं तक मुफ्त शिक्षा लागू कर दी है। स्कूलों में और बेहतर सुविधाएं बढ़ा रहे हैं ताकि ड्रॉपआउट में कमी आए।


सवाल :  प्रदेश में खेल टैलेंट बहुत हैं, लेकिन सुविधाएं और बेहतर ट्रेनिंग नहीं। देश का दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम रायपुर में हैं पर इसमें न आईपीएल के मैच हो रहे हैं, न इंटरनेशनल। इसे लेकर आप क्या चाहते हैं?
- मानश्री मौर्य, डीपीएस भिलाई
जवाब : सही है, प्रदेश में रायपुर से राजनांदगांव तक कई स्टेडियम बन गए हैं, लेकिन खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। वे मेहनत करते हैं तो डाइट नहीं मिलती। इसीलिए हमने खेल प्राधिकरण का गठन किया है, जो इन स्टेडियम के बेहतर उपयोग के साथ खिलाड़ियों को अच्छे कोच, भोजन और खेल सुविधाएं देगा। इन स्टेडियमों में हम आवासीय सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। 5 साल से इंटरनेशनल स्टेडियम का उपयोग नहीं हो पाया। हम वहां अंतरराष्ट्रीय मैच करवाने का प्रयास करेंगे।


सवाल : आप इस मुकाम तक कैसे पहुंचे? इसके लिए आपने क्या प्लानिंग की? हम आगे बढ़ने के लिए क्या करें? हमारा मार्गदर्शन करें? 
-सौम्या पाटिल, सचदेवा स्कूल रायपुर
जवाब : मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। लक्ष्य भी महत्वपूर्ण है। लक्ष्य नहीं है तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे। लक्ष्य निर्धारित करें और उसे हासिल करने के लिए मेहनत करना पड़ेगा। जैसे स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के लिए हम तैयारी करते हैं, ठीक उसी तरह अपना काम करें। टारगेट कभी भी छोटा नहीं होना चाहिए। अपनी क्षमता देखें, किसी के कहने पर काम न करें। अपना लक्ष्य तय करें और उसे विभिन्न हिस्सों में जैसे साल, महीने, दिन और घंटे में बांटिए।

सवाल: दूसरा बड़ा स्टेडियम हमारा, लेकिन 5 साल से ना इंटरनेशनल और ना ही अाईपीएल हुआ?
जवाब: हर स्टेडियम में अावासीय सुविधा देंगे, अाईपीएल ही नहीं, इंटरनेशनल मैच भी करवाएंगे

इंटरव्यू के लिए 10 छात्र चुने क्विज कॉम्पिटीशन से
दैनिक भास्कर ने प्रदेश के लगभग 100 स्कूलों में 6 नवंबर को अाॅनलाइन क्विज करवाई। इसमें नवमीं से बारहवीं तक के 1600 छात्रों ने हिस्सा लिया। इनमें से मेरिट के अाधार पर 42 बच्चों को दूसरे राउंड के लिए पात्र घोषित किया गया। इनके लिए 8 नवंबर को फिर अाॅनलाइन क्विज कॉम्पिटीशन हुअा। इसमें मेरिट पर 10 बच्चे सलेक्ट हुए, जिन्हें मुख्यमंत्री से इंटरव्यू का मौका दिया गया। 

स्कूली बच्चों से मुखातिब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में खेल सुविधाएं इसी सत्र से बढ़ाई जा रही हैं। हमारे स्कूलों से भी साइंटिस्ट निकलें, इसके लिए इनोवेशन और क्रिएटीविटी की सुविधाएं चुनिंदा स्कूलों में शुरू कर रहे हैं। सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि स्टेडियम बहुत बन गए, लेकिन खिलाड़ियों को सही डाइट नहीं दे पा रहे हैं। इस पर नीति बनाकर काम करेंगे। स्कूली बच्चों के सवाल और मुख्यमंत्री के जवाब यहां प्रस्तुत हैं:-

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery