इंदौर . खाड़ी देशों से आने वाले इंटरनेशनल काॅल्स को सिम बॉक्स व साफ्टवेयर की मदद से लोकल काल में कनवर्ट कर टेलीकॉम कंपनियों को करोड़ों की चपत लगाने वाले एक बड़े रैकेट का खुलासा एंटी टेरेरिस्ट स्कवाॅड (एटीएस) और स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने किया है। इस रैकेट से जुड़े दो सदस्यों को साइबर सेल की टीम की मदद से इंदौर के सैफी टैंक इलाके से गिरफ्तार किया है।
दोनों आरोपियों ने पिछले 1 साल में इंटरनेशनल काल्स को अपने द्वारा एक्टिवेटेड सिम बाक्स में लेकर उसमें लगी 150 फर्जी नामों की एक्टिवेटेड सिम के जरिए कनवर्ट कर अकेले दूरसंचार विभाग को 1 करोड़ 23 लाख का नुकसान पहुंचाया है। इनके तार कई देशों से जुड़े हैं।
आरोपी बीकॉम लेकिन कंप्यूटर और इंटरनेट की गहरी समझ
एडीजी एटीएस राजेश गुप्ता ने बताया कि आरोपियों के नाम मुफद्दल पिता नजीमुद्दीन लोखंडवाला और बुरहानुद्दीन पिता सैफुद्दीन महूवाला हैं। दोनों एक सॉफ्टवेयर दुकान की आड़ में ये काम कर रहे थे। एटीएस के प्रभारी इंचार्ज एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि दोनों ने बीकाॅम किया है।
लेकिन मुफद्दल ने कुछ स्पेशल कम्प्यूटर कोर्स किए हैं। वहीं बुरहान टेक्निकल रूप से इंटरनेट व कम्प्यूटर में ज्यादा गहरी जानकारी रखता है। कोई भी इंटरनेशनल काल आता है तो वह आरोपियों के सिम बाक्स में लैंड करता है और सिम बाक्स में एक्टिवेटेड सिमों के जरिए लोकल काल में कनवर्ट होकर सामने वाले व्यक्ति को लिंक कर लेता है। इससे उसकी बात लोकल सिम की दरों पर होती है।
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