Saturday, 14th June 2025

एनालिसिस / मोदी, राहुल, मायावती जैसे नेता रामलला के दर्शन करने नहीं गए, 27 साल में यूपी के सिर्फ दो सीएम पहुंचे

Sat, Nov 9, 2019 5:40 PM

 

  • राजनाथ सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री 2002 में और योगी आदित्यनाथ ने मई 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद रामलला के दर्शन किए 
  • मोदी 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अयोध्या पहुंचे लेकिन रामलला के दर्शन करने नहीं गए
  • अखिलेश 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन वो भी रामलला दर्शन करने नहीं पहुंचे

 

लखनऊ/अयोध्या. 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद से अब तक बड़े नेताओं ने रामलला विराजमान के दर्शन से दूरी बना रखी है। बीते 27 साल में नरेंद्र मोदी, मुलायम सिंह यादव, मायावती, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव भी रामलला नहीं गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ढाई साल में 18 बार अयोध्या जरूर गए हैं। इसके साथ ही योगी 27 साल में भाजपा के ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने रामलला विराजमान के दर्शन किए हैं।

योगी आदित्यनाथ
मई 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का दौरा किया था। यहां उन्होंने सरयू तट पर पूजा की। हनुमान गढ़ी में 30 मिनट बिताए, फिर विवादित भूमि पर स्थापित रामलला के दर्शन किए। वे 1992 के बाद ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने रामलला के दर्शन किए। उनसे पहले राजनाथ सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री 2002 में अयोध्या दौरे पर रामलला के दर्शन किए थे। योगी अब तक 18 बार अयोध्या जा चुके हैं। आखिरी बार इसी साल दिवाली में वे दीपोत्सव मनाने अयोध्या पहुंचे थे।

नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम बार मई 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान रैली करने अयोध्या पहुंचे थे। बतौर प्रधानमंत्री वे पहली बार अयोध्या पहुंचे थे, लेकिन रैली के बाद वे अयोध्या से रवाना हो गए। माना जा रहा था कि वे रामलला के दर्शन करने जाएंगे। हालांकि, इससे पहले 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी मोदी अयोध्या पहुंचे थे। 2014 के चुनाव में जब वे पीएम कैंडिडेट थे, तब अयोध्या में हुई उनकी रैली में स्टेज पर लगे बैनर में भव्य मंदिर दिखाया गया था।

अखिलेश यादव
2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव भी सिर्फ इलेक्शन कैम्पेन के लिए अयोध्या पहुंचे। अखिलेश पिछली बार मई 2019 में गठबंधन की रैली को संबोधित करने अयोध्या पहुंचे थे। हालांकि, इससे पहले पूरे पांच साल उन्होंने अयोध्या से दूरी बनाए रखी। अयोध्या से जुड़ी कुछ योजनाओं का शिलान्यास भी उन्होंने मुख्यमंत्री आवास से किया।

राहुल गांधी
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी किसान यात्रा पर थे। इस दौरान सितंबर 2019 में वे अयोध्या पहुंचे। 1992 के बाद वे अयोध्या पहुंचने वाले गांधी परिवार के पहले सदस्य थे। उन्होंने हनुमान गढ़ी में भगवान का आशीर्वाद लिया, लेकिन विवादित भूमि पर स्थित रामलला से दूरी बनाए रखी।

मायावती
उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने भी अयोध्या से हमेशा दूरी बनाए रखी। उन्होंने इस दौरान न हनुमान गढ़ी के दर्शन किए, न ही रामलला के दर्शन को गईं। इलेक्शन कैम्पेन के लिए उनके अयोध्या में दौरे जरूर हुए। इसी साल मई में वे गठबंधन की रैली को संबोधित करने अयोध्या पहुंची थीं।

प्रियंका गांधी
इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान 29 मार्च को प्रियंका गांधी रोड शो में शामिल होकर अयोध्या पहुंची थीं। 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद प्रियंका अयोध्या पहुंचने वाली गांधी परिवार की दूसरी सदस्य थीं। हालांकि, इस दौरान उन्होंने भी विवादित भूमि पर स्थित रामलला से दूरी बनाए रखी।

उद्धव ठाकरे
नवंबर 2018 में उद्धव ठाकरे पहली बार सपरिवार अयोध्या पहुंचे थे। यहां उन्होंने रैली की और रामलला के दर्शन भी किए। इसके बाद जून 2019 में वे फिर अयोध्या लौटे थे। साथ ही रामलला के दर्शन भी किए थे।

योगी मठ के महंत, इसलिए रामलला पहुंचे
राजनीतिक विश्लेषक संजय भटनागर और समीरात्मज मिश्रा कहते हैं कि 1992 में कई बड़े नेता अयोध्या पहुंचे, लेकिन रामलला के दर्शन नहीं किए। योगी खुद एक मठ के महंत हैं, इसलिए रामलला के दर्शन से उन्हें कोई नुकसान नहीं होना है। जो भी बड़े नेता वहां जाने से कतराते हैं, वे आज भी मानते हैं कि यह एक सांप्रदायिक मामला है। यही वजह है कि नेता दूरी बनाए रखते हैं।

मोदी, राहुल, प्रियंका के रामलला के दर्शन नहीं करने की वजह
अयोध्या के सीनियर जर्नलिस्ट विष्णु निवास दास कहते हैं कि नरेंद्र मोदी अयोध्या आने के बाद भी रामलला के दर्शन करने नहीं गए, इसके पीछे जो वजह समझ आती है कि वे दिखाना चाहते हैं कि हम सभी वर्गों के लिए काम करते हैं। जबकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने साफ कहा था कि रामलला का मामला अभी कोर्ट में है और जब तक फैसला नहीं आयेगा तक हम वहां नहीं जाएंगे। सपा-बसपा नेता अपने चुनावी एजेंडे के तहत रामलला का दर्शन नहीं करते, क्योंकि मामला हिन्दू-मुस्लिम के वोटों की राजनीति से जुड़ा है।

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