भोपाल (स्नेहा खरे). 108 एंबुलेंस सेवा पिछले तीन साल से बिना किसी प्रोसीजर के ही संचालित हो रही है। क्योंकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने इसका स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर (एसओपी) ही तैयार नहीं किया है। अधिकारियों को यह भी पता नहीं था कि एसओपी कंपनी को नहीं, उन्हें तैयार करना था। मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला की फटकार के बाद एनएचएम ने आनन-फानन में एसओपी लागू करने की प्रक्रिया शुरू की है।
मुख्य सूचना आयुक्त ने गुरुवार के सुनवाई के बाद एनएचएम की मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ऊषा परमार, लोक सूचना अधिकारी वर्षा भूरिया और उपसंचालक डॉ. दुर्गेश गौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एनएचएम की मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने बताया कि हमने एसओपी तैयार कर कंपनी को दिया है। जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
एसओपी बनाने की जिम्मेदारी एनएचएम की थी, लेकिन बनाना ही भूल गए
9 सितम्बर 2016 को साइन हुए एमओयू में लिखा है कि कंपनी एसओपी के अनुसार अपनी सेवाएं देगी। एग्रीमेंट के बाद एनएचएम को एसओपी भी तैयार करना था, लेकिन जिम्मेदार इसे बनाना ही भूल गए। चौंकाने वाली बात यह है कि सूचना आयोग द्वारा इस बारे में जानकारी मांगने के बाद एनएचएम ने कंपनी को ही एसओपी तैयार करने के लिए पत्र लिख दिया, लेकिन जब सूचना आयुक्त की सुनवाई में यह बात सामने आई कि एसओपी बनाने की जिम्मेदारी एनएचएम की तो फिर अधिकारियों ने आनन-फानन में इसे तैयार करवा के कंपनी को भेजा।
क्यों जरूरी है स्टैंडर्ड प्रोसिजर
एनएचएम ने रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल (आरएफपी) के आधार 108 सेवा के लिए टेंडर बुलाए थे। आरएफपी में सेवा शर्तों की संक्षिप्त जानकारी होती है। टेंडर खुलने के बाद कंपनी के एसओपी तैयार होता है। इसमें सेवा शर्तों ,संचालन और जुर्माने के बारे में विस्तार से जानकारी होती है। कंपनी द्वारा नियमों का पालन नहीं करने पर उसके ऊपर कार्रवाई का प्रावधान भी एसओपी में होता है।
उपसंचालक से जताई नाराजगी
एनएचएम के उपसंचालक डॉ. दुर्गेश गौड़ के ऊपर ही 108 सेवा की पूरी जिम्मेदारी है। कंपनी के साथ हुए एमओयू पर भी उन्हीं के हस्ताक्षर हैं। 16 अक्टूबर को सूचना आयुक्त में हुई पेशी में डॉ. गौर का कहना था कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि एसओपी बना है या नहीं। डॉ. गौड़ के इस जवाब पर मुख्य सूचना आयुक्त ने नाराजगी जताते हुए कहा था- यदि आपको कोई जानकारी नहीं है तो आप यहां क्यों आए हैं।
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