जगदलपुर/नकुलनार . जिले के मुनगा के जंगलों में हुए मुठभेड़ पर सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस जिन दो लोगों को इनामी नक्सली बताकर मुठभेड़ में ढेर करने का दावा कर रही है उन्हीं दोनों युवकों के परिजनों ने इस पूरी घटना को फर्जी बताया है। इतना ही नहीं परिजनों ने दावा किया है कि दोनों युवकों की मौत मुठभेड़ में नहीं हुई है बल्कि खेत में रखवाली करने के दौरान जवान उन्हें पकड़कर ले गये थे और गोली मार दी। दोनों को गोली मारने के बाद जवानों ने इन्हें वर्दी भी पहना दी है।
परिजनों ने न सिर्फ मुठभेड़ पर सवाल उठाए बल्कि दंतेवाड़ा के मरच्यूरी में पड़ी दोनों की लाशों को भी घर ले जाने से इंकार कर दिया है। परिजन और इलाके के ग्रामीण न्याय की गुहार लगा रहे हैं और दोषी जवानों पर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यही नहीं परिजनों का कहना है कि आत्मसमर्पित नक्सली जवानों को बरगला रहे हैं और उनकी निशानदेही पर ही इस पूरी घटना को अंजाम दिया गया है। इधर इस मामले ने अब सामाजिक तूल भी पकड़ लिया है और मामले में सर्व बस्तरिया समाज के सदस्य भी कूद पड़े हैं।
बुधवार शाम तक मारे गये दोनों युवकों के शवों को परिजन अपने साथ नहीं ले गये थे और शव मरच्यूरी में ही पड़े हुए हैं। वहीं दोनों मृतकों की पत्नियों के अलावा उनके बुजुर्ग मां-बाप भी दंतेवाड़ा में ही डेरा जमाये हुए हैं। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने इसे बड़ी सफलता बताया था और मुठभेड़ में शामिल जवानों को दस दिन की छुट्टी भी दे दी थी।
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