नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख गुरुवार को आधिकारिक तौर पर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए। इसी साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लाकर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। यह बिल 30 अक्टूबर रात 12 बजे से लागू हो गया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा या विधान परिषद के केंद्र शासित प्रदेश बना। जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में 2 जिले होंगे। अब केंद्र के 106 कानून भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए, जबकि राज्य के पुराने 153 कानून खत्म हो गए।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का बंटवारा कैसे होगा?
बिजली-पानी जैसी जरूरतों का बंटवारा भी समिति करेगी, इसमें 7 महीने लग सकते हैं
आधिकारिक तौर से अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब 90 दिन में एक या उससे ज्यादा एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी। इनका काम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बीच बिजली और पानी की सप्लाई जैसी आम जरूरतों का बराबर बंटवारा करना होगा। ये कमेटी 6 महीने के अंदर उपराज्यपाल को अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद 1 महीने के अंदर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर विभाजन होगा।
विराग बताते हैं कि जम्मू कश्मीर में अनेक हाइड्रो और थर्मल पावर प्लांट का बटवारा होगा, जिसके बाद दोनों राज्यों में नई पॉवर कंपनियों का गठन होगा। जम्मू कश्मीर के पुराने राज्य बिजली कानून 2010 की समाप्ति हो गई है और उसकी जगह अब केंद्रीय बिजली कानून लागू होगा। पावर प्लांट्स से राज्य को लगभग 12% की रॉयल्टी मिलती है।
आईएएस, आईपीएस का नया कैडर बनेगा
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में काम कर रहे सभी प्रशासनिक अधिकारी और राज्य कैडर के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस मौजूदा जगहों पर ही काम कर रहे थे और 31 अक्टूबर से भी वे अपने मौजूदा कैडर के तहत काम जारी रखेंगे। ये अधिकारी अपनी सेवाएं मौजूदा तरीके से तब तक जारी रख सकते हैं, जब तक दोनों केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल नया आदेश जारी नहीं करते। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा गठन होने के बाद सरकार अपने प्रशासन का गठन करेगी। विराग कहते हैं कि बंटवारे के बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों का भी बंटवारा होगा। वहां पर अब आईएएस और आईपीएस का नया यूटी कैडर बनेगा, जिससे केंद्रीय गृह मंत्रालय का नए राज्यों में ज्यादा नियंत्रण होगा।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में और क्या-क्या बदलेगा?
1) उपराज्यपाल ही मुखिया होगा : संविधान के अनुच्छेद 239ए के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। यही अनुच्छेद दिल्ली और पुडुचेरी पर लागू है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी। हालांकि, प्रदेश की पुलिस उपराज्यपाल के अधीन होगी। उपराज्यपाल के जरिए कानून-व्यवस्था का मामला केंद्र सरकार के पास होगा। जबकि, जमीन से जुड़े मामले विधानसभा के पास ही होंगे। वहीं, लद्दाख अनुच्छेद 239 के तहत केंद्र शासित प्रदेश बना है। इसके तहत लद्दाख की न ही कोई विधानसभा होगी और न ही कोई विधान परिषद। यहां उपराज्यपाल ही मुखिया होगा। उपराज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं।
2) जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीट बढ़ेंगी : जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के मुताबिक, चुनाव आयोग और सरकार मिलकर जम्मू-कश्मीर का नए सिरे से परिसीमन करवाएंगे, जिसके बाद यहां विधानसभा सीटें बढ़ेंगी। अभी जम्मू-कश्मीर में 83 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीट थी। 24 सीटें पीओके में भी हैं, जिनपर चुनाव नहीं होते हैं। इस तरह से जम्मू-कश्मीर में कुल विधानसभा सीटों की संख्या अभी तक 107 थी, जो नए परिसीमन के बाद 114 तक पहुंच सकती हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में 5 लोकसभा और लद्दाख में 1 लोकसभा सीट होगी।
3) दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का एक ही हाईकोर्ट होगा, जिसके न्यायिक क्षेत्र में ये दोनों केंद्र शासित प्रदेश आएंगे। दिल्ली और पुड्चेरी भी केंद्र शासित प्रदेश हैं और दोनों प्रदेशों में विधानसभा हैं, फिर भी दिल्ली का अपना हाईकोर्ट है जबकि, पुड्डुचेरी के मामले मद्रास हाईकोर्ट के क्षेत्र में आते हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जज, वकील और स्टाफ का खर्चा और सैलरी दोनों प्रदेशों की जनसंख्या के आधार पर वहन होगी।
4) केंद्र के 106 कानून लागू हो जाएंगे : आधार एक्ट, शत्रु संपत्ति एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट और आरटीआई एक्ट जैसे केंद्र के 106 कानून दोनों यूटी में लागू होंगे। इसके अलावा अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे से यहां 153 कानून लागू थे, जो अब खत्म हो जाएंगे। हालांकि, राज्य के 166 कानून अभी भी लागू रहेंगे।
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