मुंबई. रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्कर देने की तैयारी में हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक वह 2,400 करोड़ डॉलर की डिजिटल होल्डिंग कंपनी शुरू करने जा रहे हैं। यह देश में इंटरनेट शॉपिंग के क्षेत्र में उनकी बादशाहत का रास्ता बनाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के बोर्ड ने पूर्ण स्वामित्व वाली इस सहायक कंपनी में 1,500 करोड़ डॉलर (लगभग 1.08 लाख करोड़ रुपए) के निवेश को मंजूरी दी है। यह सब्सिडियरी रिलायंस समूह की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम में निवेश करेगी। बीते शुक्रवार 25 अक्टूबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर ने दिन के कारोबार में 1,445.75 रु. का स्तर छू लिया। यह इसका अब तक का ऑल टाइम हाई है। योजना के मुताबिक इस सब्सिडियरी से जियो में पूंजी का हस्तांतरण कई चरण में होगा। इससे मार्च 2020 तक जियो पूरी तरह कर्ज मुक्त हो जाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से जारी एक बयान यह जानकारी दी गई। जियो पर फिलहाल करीब 84,000 करोड़ रुपए का कर्ज है।
बयान के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज, अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स लिमिटेड और अल्फाबेट इंक की तरह होल्डिंग कंपनी में ऑप्शनली कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर के जरिए निवेश करेगी। यह होल्डिंग कंपनी पैरेंट कंपनी द्वारा जियो में किए गए 65,000 करोड़ रुपए के इक्विटी निवेश का अधिग्रहण करेगी। यह इक्विटी लगने के बाद रिलायंस जियो अपने 1.08 लाख करोड़ रुपए की देनदारी होल्डिंग कंपनी को ट्रांसफर करेगी। इससे जियो स्पेक्ट्रम संबंधी देनदारी छोड़कर लगभग कर्जमुक्त हो जाएगी। नई सब्सिडियरी बनने से रिलायंस के सभी डिजिटल कारोबार और एप एक कंपनी के अंतर्गत आ जाएंगे। इसमें माई जियो, जियो टीवी, जियो सिनेमा, जियो न्यूज और
जियो सावन जैसे एप शामिल हैं।
डेटा-डिजिटल सर्विसेज भविष्य में रिलायंस की ग्रोथ का केंद्र होंगे
रिलायंस फिलहाल 9.09 लाख करोड़ रु. मार्केट कैप के साथ देश की सबसे मूल्यवान कंपनी है। यह ऑयल से लेकर पेट्रोकेमिकल के कारोबार में सक्रिय है। लेकिन ताजा कदम से संकेत मिलते हैं कि डेटा और डिजिटल सर्विसेज भविष्य में रिलायंस समूह की ग्रोथ का मुख्य माध्यम होंगे। कंपनी अमेजन डॉट इन और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट डॉट कॉम की तरह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म खड़ा करेगी। मुकेश अंबानी ने अगस्त में शेयरधारकों से कहा था रिटेल समेत नए कारोबार फिलहाल रिलायंस समूह की कमाई में 32% योगदान कर रहे हैं। अगले कुछ साल में 50% योगदान करेंगे।
डिजिटल प्लेटफॉर्म निवेशकों के लिए आकर्षक होगा: मॉर्गन स्टैनली
विश्लेषकों के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज की इस पहल से डिजिटल प्लेटफॉर्म संभावित निवेशकों के लिए आकर्षक हो जाएगा। मॉर्गन स्टैनली ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि रिलायंस का टेलीकॉम/डिजिटल बिजनेस की रिस्ट्रक्चरिंग से एसेट मोनेटाइजेशन और कर्ज घटाने पर फोकस बढ़ा है। हालांकि कन्सॉलिडेटेड कर्ज में कोई बदलाव नहीं होगा।
अधिग्रहण-हिस्सेदारी के जरिए पार्टनर्स को जोड़ रही रिलायंस
नई होल्डिंग कंपनी शुरू करने के साथ अंबानी नए कारोबार के लिए आईपीओ लाने की भी तैयारी कर रहे हैं। यह प्रक्रिया पांच साल के भीतर पूरी हो जाएगी। रिलायंस ने 5 सितंबर 2016 से जियो के 4जी नेटवर्क की शुरुआत की थी। वह 34.8 करोड़ ग्राहकों के साथ देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। रिलायंस ई-कॉमर्स सेगमेंट में अपना दबदबा बनाने के लिए अधिग्रहण और हिस्सेदारी खरीदकर पार्टनर्स को अपने नेटवर्क से जोड़ रही है। डिजिटल इकोसिस्टम में कारोबारी संभावनाओं को देख संभावित स्ट्रैटजिक पार्टनर्स रिलायंस के साथ जुड़ने में रुचि दिखा रहे हैं।
इस साल रिलायंस का शेयर 28% चढ़ा, बीएसई सेंसेक्स महज 9%
इस साल में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 27.92% की बढ़त देखने को मिली है। जबकि इस अवधि में बीएसई सेंसेक्स में महज 8.82% की बढ़त देखने को मिली है। रिलायंस का शेयर 31 दिसंबर 2018 का 1,121.05 रुपए के स्तर पर था। बीते हफ्ते शुक्रवार 25 अक्टूबर को यह 1,434.10 के स्तर पर बंद हुआ।
पिछले एक साल में कंपनी के शेयरों में 22% की तेजी दर्ज हुई
31 दिसंबर 2018 | 1,121 |
7 अगस्त 2019 | 1,109 |
3 मई 2019 | 1,407 |
10 मई 2019 | 1,251 |
21 मई 2019 | 1,340 |
22 जुलाई 2019 | 1,281 |
19 सितंबर 2019 | 1,179 |
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