नकुलनार. दंतेवाड़ा जिले के पोटाली में राउत पारा में रहने वाले सात लोगों के 198 एकड़ जमीन की फर्जी रजिस्ट्री और पोटाली में ही पुलिस कैंप खोलने की खबरों के बीच इलाके में एक नया आंदोलन शुरू हो गया है। शुकवार को नीलावाया और पोटाली के सैकड़ों ग्रामीणों ने इलाके में एक बड़ी रैली का आयोजन किया और प्रशासन से मांग की कि इन दोनों मामलों में स्थानीय आदिवासियों और ग्रामीणों के अनुसार काम किया जाए। इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि दोनों ही मामलों में उनकी उपेक्षा की जा रही है और दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
शुक्रवार को रैली की शक्ल में विरोध प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि पोटाली में रहने वाले राउत परिवार के सदस्यों के साथ धोखा किया गया है। यहां इनकी 198 एकड़ जमीन थी जिसे दंतेवाड़ा और गंजेनार के कुछ दलालों ने पटवारी के साथ मिलीभगत कर जांजगीर के संजय अग्रवाल के नाम रजिस्टर्ड करवा दिया। ग्रामीणों ने बताया कि राउत परिवार के पास जमीन के जो पट्टे थे उसे दीमक ने खा लिया था। इसी बीच जमीन दलाल इनके संपर्क में आये और पहले तो पट्टों का नवनीकरण करवाने की बात कही। इसके बाद परिवार के सात सदस्यों को 5-5 हजार रूपए कुल 35 हजार रूपए दिये और जमीन की अच्छी खासी कीमत दिलवाने की बात कही।
रैली के बाद सभा में कहा- कुछ भी हो, हम जमीन नहीं देंगे
दोनों गांवों के सात सौ से ज्यादा लोग रैली की शक्ल में घरों से निकले। यह रैली चूल्हेपारा से कुंजामपारा तक पहुंची। इसके बाद नीलावाया में सड़क पर ही एक सभा आयोजित की गई। सभा में कहा कि दोनों ही मामले में किसी भी बाहरी को अपनी जमीनें नहीं दी जायेगी। वहीं फर्जी रजिस्ट्री के मामले भी तत्काल गिरफ्तारियों की मांग की गई। शुक्रवार को जिन दो गांवों के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया इन गांवों के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका नंदराज पहाड़ को बचाने के दौरान भी रही है। इधर अरनपुर थाना प्रभारी सोनसिंह सोढ़ी ने बताया कि कैंप के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है, लेकिन पोटाली में जमीन की फर्जी रजिस्ट्री के मामले में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है और इसकी जांच भी जारी है। जमीन को राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति को बेचे जाने की बात सामने आ रही है। इस मामले में जमीन खरीदने वालों से दस्तावेज लेने टीम को नागपुर भेजा गया है।
निजी जमीन पर कब्जा
ग्रामीणों का कहना है कि पोटाली में पुलिस कैंप खोला जा रहा है जिस जगह पर कैंप खोलने की बात कही जा रही है वह स्थानीय आदिवासियों की है और इसमें वे खेती कर रहे हैं ऐसे में खेती वाली जमीन कैंप के लिए कोई देने को तैयार नहीं है।
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