रायपुर . छत्तीसगढ़ में हो रही बेमौसम बरसात ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। फसल पककर तैयार हो चुकी है, कई स्थानों पर फसलों की कटाई भी हो चुकी है। लेकिन ये फसलें अब पानी में डूब गई हैं। किसानों के मुताबिक करीब 30 फीसदी फसलों के खराब होने का अनुमान है। वहीं कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश से बीजों की गुणवत्ता खराब होगी आैर ऐसे धान का उपयोग उसना चावल बनाने में किया जा सकता है।
किसानों को मौसम ने इस बार धान बोने के पहले परेशानी में डाला था आैर अब फसल पककर तैयार होने के बाद एक बार फिर किसान उसी परेशानी से जूझ रहे हैं। मौसम आैर कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पानी के कारण धान के साथ टमाटर, सब्जी के साथ सोयाबीन की खड़ी फसल भी खराब होने की आशंका है। प्रदेश के कई जिलों में किसानों ने अरली वैरायटी के धान काट लिए हैं। इसी तरह किसानों ने सोयाबीन भी काटकर खलिहानों में रख दिए हैं। वह भीगकर अंकुरित होने लगे हैं। किसानों का कहना है कि धान की फसल बोने के समय पानी नहीं गिरने के कारण धान में बालियां लेट से निकली हैं। पानी कम होने के कारण पहले ही लगभग 20 फीसदी फसल चौपट हो चुकी है अब फसल पकने आैर फसल के कट जाने के बाद एक बार फिर हो रही बारिश ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी है। किसानों का कहना है कि यह पानी बंद नहीं हुआ तो 20 से 30 फीसदी नुकसान की संभावना है।
खेतों में ही गिर गई खड़ी फसल
अभी एक सप्ताह पहले धान की जो फसलें खेतों में लहलहा रही थीं, वह बारिश आैर तेज हवाआें के कारण खेतों में गिर गई हैं। इन फसलों को उठाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि पानी बंद भी हाे जाता है तो गीली जमीन से फसलों को उठाना आैर उन्हें काटने में भी परेशानी होगी।
सरकार ने आंकलन करने के निर्देश दिए
बारिश से राज्य सरकार भी चिंतित है। सीएम भूपेश बघेल आैर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने अधिकारियों को फसलों के नुकसान का आंकलन करने के निर्देश जारी किए हैं। इसमें राजस्व, कृषि के साथ जिला प्रशासन का अमला भी लगा हुआ है। सीएम ने अफसरों से कहा है कि किसी भी शर्त में हर पात्र किसानों को बीमा क्षतिपूर्ति की राशि मिलनी चाहिए।
टूटन ज्यादा होगी, उसना चावल बनेगा
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के फार्म के विभागाध्यक्ष एवं डायरेक्टर जीके दास का कहना है कि बारिश के कारण धान के बीज खराब हो जाएंगे। कई जगह अवगुण आने शुरू हो गए हैं। इससे बीज की गुणवत्ता खराब होगी। मिलिंग में रिकवरी कम होगी। टूटन की मात्रा ज्यादा आएगी इसलिए एेसे धान से उसना चावल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे किसान जिन्होंने बीमा करवाया है आैर जो फसल काट लिए हैं लेकिन पानी में भीगने से खराब हो गई हाे वे फसल बीमा के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें भी फसल क्षतिपूर्ति का लाभ मिलेगा।
Comment Now