Thursday, 12th June 2025

मप्र / खुद व्यापारियों ने माना-भोपाल में ग्रीन पटाखे सिर्फ 4 फीसदी

Fri, Oct 25, 2019 5:23 PM

 

  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने पटाखा दुकानों की जांच की तो कहीं नहीं मिले ग्रीन पटाखे 
  • लेकिन राहत की बात यह है कि यह पटाखे 125 डेसीबल की तय ध्वनि से कम के ही निकले

 

भोपाल . सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी भोपाल में ग्रीन पटाखों की जगह पुराने परम्परागत पटाखे ही बिक रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) भोपाल की जांच टीम को एक भी दुकान पर ग्रीन पटाखे नहीं मिले, लेकिन राहत की बात यह है कि यह पटाखे 125 डेसीबल की तय ध्वनि से कम के ही निकले हैं। यह खुलासा पीसीबी की इस साल हलालपुरा स्थित पटाखा दुकानों से लिए गए सैंपल में सामने आई है। पीसीबी की टीम ने सभी दुकानों से दो या दो से अधिक सैंपल लेकर उनकी नियमानुसार टेस्टिंग की थी।  पटाखा व्यापारियों की माने तो भोपाल में सिर्फ 4 फीसदी ही ग्रीन पटाखे मिल रहे है।

....लेकिन राहत की बात... जांच में मिले पटाखों में से किसी की भी आवाज 125 डेसीबल से ज्यादा नहीं थी

ग्रीन पटाखे... ये जलने के बाद पानी के कण पैदा करते हैं, जो सल्फर और नाइट्रोजन को अवशोषित कर लेता है। इन पटाखों में एल्युमिनियम का उपयोग ज्यादा से ज्यादा 60 प्रतिशत होता है। इनके फूटने से 110 से 115 डेसीबल तक ध्वनि होती है, जो तय मानक (125 डेसीबल) से कम है।

एक साल पहले भी दिए थे सिर्फ ग्रीन पटाखे बेचने के आदेश 
शासन ने गत वर्ष दीपावली पर ग्रीन पटाखे बेचने के निर्देश दिए थे। उस दौरान व्यापारियों का कहना था कि अब तक पटाखे खरीदे जा चुके हैं, ऐसे में नय नियम के अनुसार और खरीदी करना उनके लिए संभव नहीं है। इसके बाद शासन ने वर्ष 2019 में सिर्फ ग्रीन पटाखे ही बेचे जाने के निर्देश जारी किए थे। इसके बाद भी इस बार भी ग्रीन पटाखे मार्केट में नहीं हैं।

पटाखे चलाने के लिए कम से कम 15 मीटर का होना चाहिए ओपन स्पेस- पटाखे चलाने के लिए कम से कम 15 मीटर का ओपन स्पेस होना जरूरी है। पटाखे की ध्वनि 125 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे अधिक ध्वनि होने पर मनुष्य के कानों पर बुरा प्रभाव तो पड़ता ही है। जानवरों और जीव जंतुओं को भी इससे काफी नुकसान होता है। बंद जगह में पटाखे फोड़ने पर इनकी ध्वनि दोगुनी हो जाती है। ऐसे में तय मानक पर भी बनाए गए पटाखे बंद जगह पर फोड़ने पर तय ध्वनि से अधिक ध्वनि करते हैं।  

इसलिए नहीं है ग्रीन पटाखे-ग्रीन पटाखे का निर्माण एक-दो राज्य में ही होता है। वहां भी ग्रीन पटाखे बनाने को लेकर कोई सख्त कानून नहीं है। ऐसे में पुराने पटाखे ही मार्केट में उपलब्ध है। व्यापारियों के पास भी उन पटाखों को खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

हमने हलालपुरा स्थित पटाखा दुकानों से सैंपल लिए थे। इसमें सभी पटाखा तय मापदंड 125 डेसीबल से कम ध्वनि वाले ही हैं। हालांकि किसी दुकान पर भी ग्रीन पटाखे नहीं मिले हैं। व्यापारियों का तर्क है कि ग्रीन पटाखे मार्केट में उपलब्ध नहीं है। - संगीता दानी, मुख्य रसायनिक अधिकारी, पीसीबी

भोपाल में अभी सिर्फ 2 से 4 फीसदी पटाखा दुकानों में ग्रीन पटाखे हैं। मैं अभी ज्यादा बात नहीं कर सकता हूं। - दौलतराम सबनानी, अध्यक्ष थोक पटाखा व्यापारी संघ भोपाल

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery