Thursday, 22nd May 2025

पर्व / आज धनतेरस पर खरीदारी के 5 मुहूर्त, शाम को होगी भगवान धन्वंतरि और यमराज की पूजा

Fri, Oct 25, 2019 5:08 PM

जीवन मंत्र डेस्क. दीपावली का त्योहार धनतेरस से प्रारंभ होता है। हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। धनतेरस पर भगवान धनवंतरी और धर्मराज यम की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है, उसमें लाभ होता है। धन संपदा में भी इजाफा होता है। धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इसके अलावा आध्यात्मिक मान्यताओं में दीपावली की महानिशा से दो दिन पहले आने वाला यह दिन धन ही नहीं, चिकित्सा जगत की समृद्ध विरासत का भी प्रतीक है।

  • धनतेरस पर खरीदारी और पूजा के मुहूर्त


सुबह 8:10 से 10:35 तक

सुबह 11:42 से दोपहर 12:20 तक

दोपहर 12:10 से 01:20 तक

शाम 04:17 से 05:35 तक

रात 09:00 से 10:25 तक

कैसे मनाएं

  1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद पूरे घर में झाड़ू-पौंछा लगाएं। इसके बाद आंगन को गोबर से लिपकर वहां पर रंगोली बनाएं। 
  2. नए कपड़े पहनें और घर के मुख्य स्थानों पर हल्दी और कुमकुम से स्वस्तिक और अन्य मांगलिक चिन्ह बनाएं। 
  3. इस दिन आभूषण, कपड़े, वाहन और महत्वपूर्ण खरीदारी के साथ बर्तन खरीदने की भी परंपरा है।
  4. इस दिन शाम को पूरे घर को दीपक से सजाएं और प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि और धर्मराज यम की पूजा करें। 
  5. इस दिन हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरना चाहिए और कुंकुम लगाना चाहिए। 
  6. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में घाट, गौशाला, कुआं, बावड़ी, तुलसी, आंवला के साथ अन्य औषधि पौधों के पास और देव मंदिरों पर दीपक जलाना चाहिए।
  • धन्वंतरि पूजा विधि

नहाकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र को साफ स्थान पर इस तरह स्थापित करें कि पूजा करने वाले का मुंह पूर्व दिशा की ओर हो। उसके बाद भगवान धन्वंतरि का आह्वान करते समय ये मंत्र बोलें।

  • मंत्र

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं

अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।

गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

इसके बाद पूजा चावल चढ़ाएं फिर आचमन के लिए जल दें। भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली और अन्य सुगंधित एवं पूजा सामग्री चढ़ाएं। फिर चांदी के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। चांदी का बर्तन न हो तो अन्य किसी नए या साफ बर्तन में भी भोग लगा सकते हैं। इसके बाद पुन: आचमन के लिए जल छोड़ें। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वंतरि को वस्त्र या मौली अर्पण करें। फिर शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें और रोग नाश की कामना के लिए नीचे लिखा मंत्र बोलें।

  • मंत्र

ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट् 

इसके बाद भगवान धन्वंतरि को प्रणाम कर के नीचे लिखा मंत्र बोलें फिर भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं एवं अंत में कर्पूर आरती करें।

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय 

सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणायत्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय 

श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

यम पूजा

  • वैदिक देवता यमराज का पूजन किया जाता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। यह पूजा दिन में नहीं की जाती अपितु रात्रि होते समय यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है। इस दिन यम के लिए आटे का चतुर्मुख यानी 4 बत्तियों वाला तेल का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखें इस दीप को जमदीवा अर्थात् यमराज का दीपक कहा जाता है। दीपक को दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए।
  • जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित यमराज और दीपक का पूजन करें। दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से यमराज को नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो।

महत्व

  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवन्तरी, चतुर्दशी को मां काली और अमावस्या को लक्ष्मी माता सागर से उत्पन्न हुई थीं। कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को धनवन्तरी के प्रकट होने के उपलक्ष में धनतेरस मनाया जाता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय धनवन्तरी ने संसार को अमृत प्रदान किया था। पुराणों में धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार भी माना गया है।
  • आमतौर पर लोग धनतेरस के दिन कुबेर की पूजा करते हैं, लेकिन काफी कम लोग यह जानते हैं कि इस दिन सिर्फ धन ही नहीं बल्कि आप अपनी तंदुरुस्ती और स्वास्थ्य को भी संवार सकते हैं। इस दिन आयुर्वेद के जनक महर्षि धन्वंतरि की विधिवत पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है। अच्छी सेहत सबसे बड़ा धन है। यदि स्वस्थ देह ही न हो, तो माया किस काम की। शायद इसी विचार को हमारे मनीषियों ने युगों पहले ही भांप लिया था। उत्तम स्वास्थ्य और स्थूल समृद्धि के बीच की जागृति का पर्व है धनतेरस, जो प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery