Saturday, 14th June 2025

नागरिकता विधेयक / बंगाल भाजपा की मांग- गैर मुस्लिमों को शपथ पत्र लेकर नागरिकता दी जाए, 6 साल भारत में रहने की शर्त हटे

Thu, Oct 24, 2019 5:07 PM

 

  • सरकार ने इसी साल नागरिकता (संशोधन) विधेयक को संसद में पेश किया था, 8 जनवरी को लोकसभा से पारित हुआ
  • पूर्वोत्तर के राज्यों में विधेयक का विरोध हुआ, इसके बाद सरकार ने इसे राज्यसभा में नहीं रखा था

 

कोलकाता. केंद्र सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को फिर से संसद में पेश कर सकती है। शीतकालीन सत्र अगले महीने से शुरू हो रहा है। इसबीच, बंगाल भाजपा ने गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने के बिल में बदलाव किया जाए। भारत में 6 साल तक रहने की शर्त हटाकर इसके स्थान पर शरणार्थियों से शपथ पत्र लिया जा सकता है।

पिछले महीने असम दौरे पर अमित शाह ने कहा था कि हम सुनिश्चित करेंगे कि नागरिकता विधेयक के बावजूद सभी राज्यों के मौजूदा कानून जस के तस बने रहें। जनवरी में विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध के चलते इसे राज्यसभा में नहीं रखा गया था।

शपथ पत्र में शरणार्थियों की असली समस्या पता चलेगी

  • बंगाल भाजपा के महासचिव सत्यांत बसु ने कहा कि नागरिकता के लिए भारत में 6 साल तक रहने की शर्त को हटाना चाहिए। इसके स्थान पर सरकार शरणार्थियों से एक शपथ पत्र ले सकती है। इसमें उनसे लिखवाया जाए कि वे अपने धर्म और सम्मान की रक्षा के लिए भारत आए हैं। इस तरह के वेरिफिकेशन से लोगों की वास्तविक समस्या का पता चलेगा। पार्टी ने इस मुद्दे को गृह मंत्री अमित शाह के सामने उठाया है। 
  • तृणमूल सरकार बंगाल में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन्स (एनआरसी) और नागरिकता बिल का विरोध कर रही है। ममता बनर्जी पहले ही साफ कर चुकी हैं कि वे असम की तरह बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी। असम में अगस्त में एनआरसी जारी होने के बाद 19.6 लाख लोग इस सूची से बाहर हो गए थे। उन्हें भारतीय नागरिक नहीं माना जाएगा। 

वैध दस्तावेज न होने पर भी गैर-मुस्लिमों को मिलेगी नागरिकता 

इस विधेयक के तहत भारत सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता देती है। मौजूदा कानून के अनुसार, इन लोगों को 12 साल बाद भारत की नागरिकता मिल सकती है, लेकिन संशोधित विधेयक में यह समयावधि 6 साल करने की तैयारी है। वैध दस्तावेज न होने पर भी 3 देशों के गैर-मुस्लिमों को इसका लाभ मिलेगा।

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