हरेकृष्ण दुबोलिया | भोपाल . सोमवार को भोपाल देश में 11वां सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा। यहां एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स 241 पर पहुंच गया है, जबकि सांस लेने योग्य शुद्ध हवा के लिए इसे 50 से कम होना चाहिए। सोमवार को दिनभर सड़कों पर चलने वाले लोग सांस लेने के तकलीफ और थकावट महसूस करते रहे। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमेटिक एलर्जी से पीड़ित लोगों को बेचैनी का अहसास हुआ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की देशभर के 200 शहरों की निगरानी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर, हावड़ा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद के बाद भोपाल देश में सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा। सोमवार को भोपाल के प्रदूषण का स्तर मध्यप्रदेश में मंडीदीप, देवास और रतलाम के औद्योगिक इलाकों से भी अधिक दर्ज हुआ।
मौजूदा प्रदूषण की बड़ी वजह शहर के ऊपर बीते 48 घंटे से छाए कम ऊंचाई वाले बादल हैं, जो न तो पानी बरसा रहे हैं, नहीं शहरभर में निकलने वाले धुएं को आसमान में फैलने दे रहे हैं। हवा की गति थमी हुई है, इस कारण बीते दो दिन से हमारा शहर अस्थाई रूप से प्राकृतिक गैस चेंबर बन गया है। रविवार सुबह से ही एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ने से हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी थी, रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात 2 बजे के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 पार हो गया था, इसके बाद से ही यह लगातार इससे अधिक बना हुआ है।
आगे क्या होगा?
जब तक बारिश नहीं होती, या बादल छंटने के बाद तेज हवा नहीं चलती, तब तक भोपाल ही हवा प्रदूषित बनी रहेगी।
भोपाल में हवा कितनी जहरीली
प्रदूषक अधिकतम औसत स्वीकार्य मात्रा
पीएम-2.5 308 239 0-30
पीएम-10 160 136 0-50
NO2 114 50 0-40
NH3 07 06 0-200
CO 112 45 0-1.0
ओजोन 90 81 0-50
21 अक्टूबर, शाम 6.30 बजे तक के आंकड़े माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर में
स्रोत - सीपीसीबी, नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स, अॉब्जरवेटरी स्टेशन भोपाल
टॉप-11 प्रदूषित शहर
दिल्ली 321
हावड़ा 312
लखनऊ 312
मेरठ 314
गाजियाबाद 284
यमुनानगर 275
नोयडा 274
मुजफ्फरपुर 267
मुरादाबाद 266
करनाल 266
भोपाल 241
एक्सपर्ट व्यू
सड़कों की खराब हालत भी जिम्मेदार
भोपाल में मैकेनिकल डस्ट का काफी अधिक पैदा होना वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। सड़कों की खराब हालत भी इसके लिए जिम्मेदार है। लेकिन पिछले 48 घंटे में बादलों का कम ऊंचाई पर छाए रहना और हवा का मूवमेंट थमने कारण स्थिति खराब हो गई। ये बादल न तो पानी गिरा रहे हैं और न धुएं को बाहर निकलने दे रहे हैं।
- पीआर देव, वरिष्ठ, वैज्ञानिक, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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