वॉशिंगटन. अमेरिका ने एक बार फिर भारत के साथ खराब रिश्तों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका की दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की कार्यवाहक विदेश उपमंत्री एलिस जी वेल्स ने मंगलवार को कहा कि ट्रम्प सरकार भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 के शिमला एग्रीमेंट के तहत सीधी बातचीत की समर्थक है। लेकिन पाकिस्तान की सीमापार आतंकवाद को लगातार बढ़ावा देने की कोशिशें इसमें सबसे बड़ा रोड़ा है।
संसद में विदेश मामलों की एक कमेटी के सामने वेल्स ने कहा कि दोनों देशों को आपसी तनाव कम करने के लिए बातचीत करनी चाहिए। 1972 के शिमला समझौते में भी यही कहा गया है। 2006-2007 में समझौते की कोशिशें हुई थीं। इनसे दोनों देशों ने कश्मीर समेत कई अन्य मुद्दों पर काफी प्रगति की थी। इतिहास ने हमें दिखाया कि बातचीत से क्या-क्या मुमकिन है।
वेल्स ने कहा, “एक बार फिर उपयोगी द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने के लिए दोनों देशों के बीच विश्वास जरूरी है, लेकिन भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान का आतंकियों का समर्थन करना इसमें सबसे बड़ी रुकावट है।”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में कहा था कि कश्मीर के खिलाफ हिंसा फैलाने वाले आतंकी कश्मीरियों के साथ पाकिस्तानियों के भी दुश्मन है। वेल्स ने उनके इस बयान का स्वागत करते हुए कहा कि दो देशों के बीच सफल बातचीत के लिए जरूरी है कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र में छिपे आतंकियों और कट्टरपंथियों के खिलाफ अपरिवर्तनीय कदम उठाए।
वेल्स ने कहा, “पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को पनाह देने की वजह से दोनों देशों के बीच रिश्ते अस्थिर हैं। आतंकियों के इन कदमों के लिए पाकिस्तानी हुक्मरान ही जिम्मेदार हैं।”
भारत की तरफ से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर की स्थिति पर वेल्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में स्थिति अभी तनावपूर्ण है। सुरक्षाबलों ने पिछले हफ्ते अलग-अलग मौकों पर आतंकियों को मार गिराया। हमें चिंता है कि कुछ स्थानीय और विदेशी आतंकी आम लोगों और व्यापारियों को डराकर उन्हें सामान्य स्थिति की तरफ लौटने से रोक रहे हैं। अमेरिका कश्मीरियों के शांति से प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन करता है, लेकिन आतंकियों की हिंसा भड़काने की कोशिशों की निंदा होनी चाहिए।
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