खेल डेस्क. पूर्व जूनियर वर्ल्ड चैम्पियन बॉक्सर निखत जरीन ने अगले साल होने वाले ओलिंपिक क्वालिफायर्स से पहले भारतीय टीम में चयन के लिए एमसी मैरी कॉम के खिलाफ ट्रायल मुकाबले की मांग की है। उन्होंने इसके लिए खेल मंत्री किरेण रिजिजू को पत्र लिखा। मैरी कॉम ने हाल ही में रूस में खत्म हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया। वे इस टूर्नामेंट में रिकॉर्ड आठ पदक जीतने वाली दुनिया की पहली बॉक्सर बनी थीं। मैरी को इस टूर्नामेंट में खेलने के लिए निखत पर प्राथमिकता दी गई थी। तब भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने ट्रायल से इनकार कर दिया था।
बीएफआई ने ओलिंपिक क्वालिफायर्स के लिए भी मैरी कॉम को ही भेजने की योजना बनाई है। अगर ऐसा हुआ तो महासंघ अपने उस फैसले से पलट सकता है, जिसमें उसने कहा था कि स्वर्ण और रजत पदक जीतने वालों को ही सीधा प्रवेश मिलेगा। क्वालिफायर्स मुकाबले अगले साल फरवरी में चीन में होंगे।
हर समय खुद को साबित करने की जरूरत होती है: निखत
निखत ने अपने पत्र में लिखा, ‘सर, खेल का आधार निष्पक्षता है। हर समय खुद को साबित करने की जरूरत होती है। यहां तक कि ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता को भी क्वालिफाई करने के लिए मुकाबला करना होता है। मैं बचपन से ही मैरी कॉम से प्रेरित रही हूं। इस प्रेरणा के साथ न्याय करने का सबसे बेहतर तरीका यही हो सकता है कि मैं उनकी तरह एक महान मुक्केबाज बनने की कोशिश करूं। क्या मैरी कॉम खेल की इतनी बड़ी शख्सियत हैं कि उन्हें मुकाबले से दूर रखने की जरूरत है?'
‘फेल्प्स को भी ओलिंपिक में खेलने से पहले हर बार क्वालिफाई करना पड़ा’
निखत ने आगे लिखा, ‘जब 23 बार के स्वर्ण पदक विजेता माइकल फेल्प्स को भी ओलिंपिक में खेलने से पहले हर बार क्वालिफाई करना पड़ा, तो हम सभी को भी ऐसा ही करना चाहिए।’ वहीं, मैरी कॉम का कहना है कि वे ट्रायल में बीएफआई के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगी। अगर महासंघ कहता है तो ट्रायल में भाग लेंगी। दूसरी ओर पुरुष वर्ग में बीएफआई के अनुसार कांस्य पदक विजेता का ही सीधा चयन होगा।
खेल मंत्रालय किसी भी राष्ट्रीय महासंघ के चयन मामलों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकता जब तक कि उस खेल की अंतरराष्ट्रीय संस्था ऐसा करने के लिए नहीं कहे। अगर कहीं भी ऐसा होता है तो उसे ओलिंपिक चार्टर का उल्लंघन माना जाता है।
निखत ने कहा-मैं मदद नहीं केवल निष्पक्षता चाहती हूं
निखत ने कहा कि अगर वे ट्रायल में हार गईं तो उन्हें इस बात का एहसास तो रहेगा कि एक मौका मिला था। उन्होंने कहा, 'मैं मदद नहीं केवल निष्पक्षता चाहती हूं। ट्रायल के बाद मैरी कॉम अन्य कोई भी मुक्केबाज क्वॉलिफाई करती है, तो कम से कम हमें ये सोचकर चैन की नींद तो आ सकती है कि हर दावेदार को ओलिंपिक में देश के लिए खेलने का हर मौका मिला था।
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