Monday, 26th May 2025

छत्तीसगढ़ / लोस व विस चुनाव से अलग होगा निकाय चुनाव, ले जा सकेंगे 50 हजार से ज्यादा कैश

Thu, Oct 17, 2019 5:00 PM

 

  • स्थानीय चुनाव में आचार संहिता के नियमों से मिलेगी राहत
  • यह नियम अागामी अाचार संहिता में लागू नहीं रहेगा

 

रायपुर. नगरीय निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष होने के कारण अाम लोगों को अाचार संहिता के ऐसे नियमों से राहत मिलेगी, जिनकी वजह से वे सीधे प्रभावित रहते हैं। सबसे ज्यादा राहत कैश लाने-ले जाने की सीमा को लेकर है, जो पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में 50 हजार रुपए तक ही थी। यह नियम अागामी अाचार संहिता में लागू नहीं रहेगा। केवल अायकर विभाग से जुड़े नियमों में ही सख्ती रहेगी, यानी 10 लाख रुपए या इससे ज्यादा कैश अथवा माल पकड़ा गया तो पुलिस वह केस अायकर को सौंप देगी।

पिछले दो चुनाव के दौरान आचार संहिता के चलते लोगों को 50 हजार से ज्यादा कैश ले जाने के लिए नियमों की सख्ती के चलते परेशानियों का सामना उठाना पड़ा था। लेकिन जानकारों के मुताबिक निकाय चुनाव में आयकर विभाग की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है। व्यय निरीक्षण टीमों द्वारा पकड़े जाने वाले केवल ऐसे मामले ही आयकर विभाग के पास जाते हैं, उसके नियमों के दायरे में अाते हैं। पुलिस या निगरानी टीम 10 लाख से ज्यादा के सभी और संदिग्ध प्रकार के मामले ही इनकम टैक्स विभाग को सुपुर्द करेगी।


हालांकि उन चुनावों के नियमों में भी आम लोगों के कैश लाने या ले जाने पर रोक का कोई प्रावधान नहीं था। केवल उम्मीदवारों के खर्च की निगरानी रखी जानी थी, लेकिन यही इतनी सख्त थी कि 50 हजार रुपए कैश से ज्यादा रकम लाने-ले जाने वाले व्यक्ति अायोग और अायकर, दोनों की जांच में फंसे। 

निगरानी का दायरा पार्षदोें तक
अप्रत्यक्ष चुनाव होने की वजह से पार्षदों और वार्ड मेंबरों के लिए निकायों की आबादी के लिहाज से खर्च सीमा की अनुशंसा की गई है। यानी पहली बार प्रदेश में पार्षदों और वार्ड मेंबरों को व्यय लेखा प्रस्तुत करना पड़ेगा। इसके चलते व्यय प्रेक्षकों और निगरानी टीमों का दायरा भी सीमित रहेगा। उम्मीदवारों के खर्च की सीमा के साथ शासन इनके लेखे और निरीक्षण की पद्धति को लेकर भी नियमों की अनुशंसा कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक शासन का पूरा ध्यान आचार संहिता के चलते आम लोगों को दिक्कत न हो इस पर है। 
 

नियमों की किताबों में बदलाव 
आयोग निकाय चुनाव के लिए 18 से ज्यादा प्रकार की किताबों का प्रकाशन करवा रहा है। बहुत सारी किताबें प्रकाशन के लिए सरकारी प्रेस में जा चुकी है। चूंकि अब महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष होगा, ऐसे में महापौर के व्यय रजिस्टर और इससे जुड़ी तमाम किताबों में अब महापौर की जगह पार्षद या वार्ड मेंबर शब्द का जिक्र किया जाएगा। नियमों और निर्देशों की बहुत सी किताबों में सफेद पर्चियां भी लगाई जाएंगी।

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