Friday, 13th June 2025

अंतर संसदीय संघ / कश्मीर पर बेहिसाब हमले करवाने वाला पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानून का चैम्पियन होने का ढोंग कर रहा: थरूर

Thu, Oct 17, 2019 4:33 PM

 

  • सर्बिया में अंतर संसदीय संघ की बैठक में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की अगुआई में गया है भारतीय प्रतिनिधिमंडल
  • थरूर ने कहा- पाकिस्तान ने जो मुद्दा उठाया, वह भारत का आंतरिक मामला, हमें सीमा पार से किसी और की दखलंदाजी की जरूरत नहीं
  • ‘ऐसे देश से मानवाधिकारों के सम्मान की बात करना बेतुका, जब प्रायोजित आतंकवाद ही मानवाधिकारों का सबसे बड़ा दुश्मन है’

 

नई दिल्ली. सर्बिया में चल रही अंतर संसदीय संघ (आईपीयू) की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर मुद्दा उठाए जाने को लेकर पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई। प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि एक देश जो जम्मू-कश्मीर में अनगिनत आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है, वह अंतरराष्ट्रीय कानून का ज्ञाता होने का स्वांग भर रहा है। भारत की संसद इन नापाक हरकतों को कामयाब नहीं होने देगी। आईपीयू में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल गया हुआ है।

लोकसभा सचिवालय ने थरूर का वीडियो भी शेयर किया। सचिवालय के मुताबिक, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने दो अलग-अलग सत्रों में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर पर उठाए सवालों को आधारहीन करार दिया। थरूर ने कहा कि पाकिस्तान ने जो मुद्दा उठाया, वह भारत का आंतरिक मामला है। पाकिस्तान सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहता है।

‘हमें किसी की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं’
अंतर संसदीय संघ की बैठक में अध्यक्ष को संबोधित करते हुए थरूर ने कहा, ‘‘मैं भारत के प्रमुख विपक्षी दल का सांसद हूं। हम कश्मीर समेत अन्य मुद्दों पर संसद में सरकार के साथ बहस करते हैं। हम अपनी लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे। हमें सीमा पार से किसी और की दखलंदाजी की जरूरत नहीं है। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की तरफ से जो बयान दिया गया, उसे कतई सही नहीं कहा जा सकता।’’

‘पाकिस्तान सरकार आतंकियों को पेंशन देती है’
शशि थरूर ने यह भी कहा, ‘‘पाकिस्तान दुनिया का इकलौता देश है जो आतंकियों को पेंशन देता है। इन आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अलकायदा सेंक्शंस लिस्ट में शामिल किया है। पाकिस्तान यूएन द्वारा घोषित 130 आतंकियों का पनाहगाह है। ऐसे देश के प्रतिनिधियों से मानवाधिकारों के सम्मान की बात करना बेतुका है, जब प्रायोजित आतंकवाद ही मानवाधिकारों का सबसे बड़ा दुश्मन है।’’

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