इनोवेशन / डॉक्टर ने बनाया छोटा ईटीपी जो 100 बिस्तर के अस्पताल के लिए काफी
Tue, Oct 15, 2019 4:42 PM
- बायाेमेडिकल िलक्विड वेस्ट को ट्रीट करने के लिए सीपीसीबी ने हर अस्पताल में ईटीपी लगाने के दिए हैं निर्देश
- 100 बिस्तर के अस्पताल में लगने वाले ईटीपी की लागत करीब पांच लाख रुपए है, जबकि यह 50 हजार रुपए में ही हो गया तैयार
भोपाल . अस्पतालाें से निकलने वाले बायाेमेडिकल िलक्विड वेस्ट के दुष्परिणामाें काे देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बाेर्ड ने छाेटे-बड़े अस्पतालों समेत क्लीनिकाें में भी आधुनिक एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाना अनिवार्य किया है। लेकिन, ईटीपी महंगा हाेने के साथ ही अाकार में काफी बड़ा हाेता है, इसलिए इसे हर जगह लगाना संभव नहीं हाेता था। लेकिन मिसराेद अस्पताल में पदस्थ डाॅ. याेगेश सिंह काैरव अाैर टीम ने ऐसा ईटीपी बनाया है जो आकार में छोटा है और उसकी लागत भी काफी कम है। यह ईटीपी उन्होंने 2013 में बनाना शुरू किया था। इस ईटीपी में ट्रीट पानी के सैंपल की जांच नागपुर की एनाकाॅन लैब में की गई, जिसमें पानी काे प्रदूषण रहित बताया है।
- अाधुनिक ईटीपी के माॅडल काे नेशनल हेल्थ इनावेशन पाेर्टल पर अपलाेड किया गया था। दिल्ली में हुई नेशनल इनाेवेशन पाेर्टल की बैठक में कमेटी के सामने इसका प्रजेंटेशन हुअा। देशभर में हुए अनेक इनाेवेशन के बीच ईटीपी काे तीसरा स्थान मिला है।
- इसलिए जरूरी... अस्पतालाें में दाे तरह का बायाेमेडिकल वेस्ट निकलता है। गीला व सूखा। सूखा वेस्ट इंसीनरेटर में भेजकर नष्ट किया जाता है। जबकि, दूसरा हाेता है लिक्विड वेस्ट यानी खून, थूक, पेशाब अाैर दवाइयाें का लिक्विड जाे नालियाें में बाहर निकलकर तालाब अादि में मिलता है या फिर जमीन के अंदर बैठकर नीचे के पानी काे दूषित करता है। इसे बाहर निकलने से पहले ट्रीट करके संक्रमण मुक्त करना जरूरी हाेता है।
- ऐसे उपयोगी- ईटीपी छाेटे अस्पताल अाैर क्लीनिक के साथ ही बड़े अस्पतालाें में भी उपयाेगी हाेगी। क्याेंकि, बड़े अस्पतालाें में कई जगह विभागाें के बीच की दूरी अधिक हाेती है। एेसे में इन विभागाें से निकलने वाले लिक्विड वेस्ट काे एक स्थान पर एकत्रित करने के लिए पाइपलाइन बिछाना अासान नहीं है।
- कम लागत-अभी जाे ईटीपी अस्पतालाें में लगते हैं उनके मुकाबले यह ईटीपी एक चाैथाई से भी कम लागत में तैयार हाे जाएगा। 100 बिस्तर के अस्पताल में लगने वाले ईटीपी की लागत करीब पांच लाख रुपए हाेती है। जबकि, यह ईटीपी करीब 50 हजार रुपए में ही तैयार हाे जाता है।
डाॅ. काैरव अाैर उनकी टीम ने जाे ईटीपी बनाया है वह अाकार में छाेटा हाेने के कारण बेहद उपयाेगी है। इसकी लागत भी कम है। यही नहीं बिजली से चलने के कारण इसका उपयाेग करना भी सस्ता है।
डाॅ. पंकज शुक्ला, ज्वाइंट डायरेक्टर, क्वालिटी एश्याेरेंस, एनएचएम
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