Tuesday, 10th June 2025

मप्र / जीएसटी की भरपाई तो मिल नहीं रही, अब केंद्र से पांचवें साल की क्षतिपूर्ति रोकने की तैयारी

Mon, Oct 14, 2019 5:09 PM

 

  • जीएसटी काउंसिल में मप्र, छग, केरल व अन्य राज्य कर चुके हैं विरोध

 

भोपाल . गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन में हो रही कमी का बड़ा असर राज्यों पर पड़ने वाला है। जीएसटी की क्षतिपूर्ति के तौर पर राज्यों को मिलने वाली 14 फीसदी की राशि में तो दिक्कत आ ही रही, लेकिन केंद्र सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि वह पांचवंे साल की क्षतिपूर्ति नहीं दे सकेगी। मप्र के वाणिज्यिककर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि गोवा में हाल ही में जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी, जिसमें मप्र, छत्तीसगढ़ और केरल समेत अन्य राज्यों ने इस पर आपत्ति की है। काउंसिल की अगली बैठक में पुरजोर तरीके से पक्ष रखा जाएगा कि पिछला बकाया मिलाकर क्षतिपूर्ति की पूरी राशि दी जाए। 


राठौर ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद जब से क्षतिपूर्ति का पैसा दिया जा रहा है, हर साल इसमें कटौती होती है और शेष राशि को अगले साल देने पर टाल दिया जाता है। इस कारण कई दिक्कतें होती हैं। खासतौर पर तब जब, मप्र में पिछली भाजपा सरकार ने पौने दो लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज का छोड़ा है।  केंद्र सरकार ने दो दिन पहले हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में 4097 करोड़ रुपए क्षतिपूर्ति देने में असमर्थता जाहिर की है। लिहाजा इस बारे में फिर से केंद्र सरकार से बात की जाएगी। 

मप्र को क्षतिपूर्ति का कब-कितना पैसा मिलना है
 

वर्ष    इतनी थी उम्मीद    इतना मिला
2017-18    3462 करोड़    2511 करोड़
2018-19    3252 करोड़    2866 करोड़
2019-20    4097 करोड़      --
2020-21    5147 करोड़      --

सेस के पैसे से केंद्र करता है भरपाई : जीएसटी सूत्रों का कहना है कि अलग-अलग कंपोनेंट पर सेस लगाकर केंद्र सरकार जो राशि जुटाती है, उसी से राज्यों को जीएसटी की क्षतिपूर्ति की भरपाई होती है। हर साल केंद्र सरकार करीब एक लाख करोड़ रुपए बतौर क्षतिपूर्ति राज्यों को देती है। इस बार सेस से होने वाला कलेक्शन घटा है, इसीलिए यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि केंद्र सरकार कोई नया सेस बचे हुए वित्तीय वर्ष के लिए जोड़ सकती है।

लगातार तीसरा साल है जब पूरा पैसा नहीं मिलेगा : केंद्र सरकार ने जीएसटी की क्षतिपूर्ति का पैसा 2017-18 से देना शुरू किया। पहले ही साल कुल क्षतिपूर्ति 3462 करोड़ में से 951 करोड़ रुपए रोककर उसे वर्ष 2018-19 के लिए शिफ्ट कर दिया गया। इसी तरह पहले साल का बैलेंस मिलाकर वर्ष 2018-19 में 3253 करोड़ रुपए मिलने चाहिए थे, लेकिन फिर 386 करोड़ शिफ्ट करके 2019-20 में देने की बात कही गई। अब चालू वित्त वर्ष में 4097 करोड़ मिलना है,   लेकिन यह भी पूरा मिलने की उम्मीद नहीं है। 

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