पुणे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में कमी की बात स्वीकारी। उन्होंने टैक्स एक्सपर्ट से कानून को कोसने के बजाय इसमें सुधार के लिए मदद की मांग की। दरअसल, कर मामलों में विशेषज्ञों ने कार्यक्रम के दौरान सीतारमण के सामने जीएसटी को लागू करने के तरीके पर सवाल उठाए थे। इन्हीं का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी से कुछ परेशानियां हो सकती हैं, लेकिन अब यह देश का कानून है।
कार्यक्रम में व्यापारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और आंत्रप्रेन्योर्स ने जीएसटी को लेकर कई सवाल पूछे। सीतारमण ने उनसे जीएसटी को न कोसने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि काफी लंबे समय बाद संसद और राज्यों की विधानसभाओं ने साथ आकर एक कानून बनाया है। मैं जानती हूं कि आप अपने अनुभव से परेशानी के बारे में बता रहे हैं। लेकिन हम अचानक ही इसे बकवास नहीं बता सकते।
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी लागू हुए अभी दो साल ही हुए हैं, लेकिन वे चाहती थीं कि यह बदलाव पहले दिन से ही संतोषजनक हों। उन्होंने टैक्स इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से समस्याओं के हल देने की भी मांग की।
इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वित्त मंत्री से जीएसटी के तहत सरकार को कम राजस्व मिलने पर भी सवाल उठाए गए। सीतारमण ने मौसम और आपदा संबंधी परेशानियों को इसकी एक वजह करार दिया। उन्होंने कहा, “जीएसटी कलेक्शन कुछ जगहों पर मजबूत नहीं रहा। महाराष्ट्र, कर्नाटक, हिमाचल, उत्तराखंड के कुछ जिलों में बाढ़ की वजह से हमें वहां रिटर्न फाइल करने की तारीखों को आगे बढ़ाना पड़ा। साथ ही कानून का ठीक से पालन न होना भी इसकी एक वजह है।”
उन्होंने बताया कि राजस्व सचिव ने एक कमेटी का गठन किया है, जो यह पता लगाएगी कि कलेक्शन में कहां और क्यों कमी आ रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें अभी भी कुछ लोगों के जीएसटी के दायरे से बच निकलने के मामले पता चले हैं। यह कमेटी ऐसे मामलों की छानबीन करेगी।
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