Tuesday, 2nd December 2025

छत्तीसगढ़ / मड़वा की देरी के लिए सीएम बघेल ने जिम्मेदारों के नाम पूछे, तो गिनाए गए पुराने अफसरों के नाम

Thu, Oct 10, 2019 5:34 PM

 

  • मड़वा प्लांट 46 महीने लेट, तीन हजार करोड़ लागत बढ़ी

 

रायपुर . सीएम भूपेश बघेल ने बुधवार को मड़वा पॉवर प्लांट के उत्पादन में हो रही देरी और लागत बढ़ने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने बुधवार को मड़वा प्रोजेक्ट का रिव्यू किया। इस दौरान उन्हें अधिकारियों ने बताया कि 1200 मेगावाट के प्लांट से उत्पादन 46 महीने पिछड़ गया है। इसी तरह तीन हजार करोड़ लागत भी बढ़ गई है। सीएम ने अधिकारियों से बाकायदा जिम्मेदार विभाग और उस समय के अधिकारियों के नाम पूछे। इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। 


सीएम बघेल ने मड़वा प्रोजेक्ट के सभी पहलुओं के बारे में सिलसिलेवार समीक्षा की। उन्होंने पूछा कि उत्पादन में इतनी देर क्याें हुई? अधिकारियों ने बताया कि पॉवर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण में ही देर हुई। इससे प्रोजेक्ट की लागत बढ़ गई। पॉवर प्लांट तैयार होने में ही तीन हजार करोड़ की अतिरिक्त लागत आई है। इसके बाद पानी के कारण देर हुई। जल संसाधन विभाग ने बांध बनाने में भी देर की। ये दोनों समस्याएं दूर हुईं तो पहले प्लांट को सिंक्रोनाइज करते समय आग लगने के कारण भी कमर्शियल उत्पादन में देर हुई। अफसर जब ये कारण गिना रहे थे, तब सीएम ने एक-एक कर उन अधिकारियों के बारे में जानकारी ली, जो संबंधित विभागाें की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

इसके बाद कार्रवाई करने के लिए कहा। इस दौरान बैठक में वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, बिजली कंपनियों के अध्यक्ष शैलेंद्र शुक्ला, विशेष सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक और एमएस रत्नम सहित ऊर्जा विभाग व बिजली कंपनियों के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
 

राज्य के ही विभाग नहीं पटा रहे 4 हजार करोड़ का बिल : सीएम बघेल ने बैठक में बिजली के बड़े बकाएदारों की भी समीक्षा की। इस दौरान जब उन्हें पता चला कि राज्य के ही 45 विभाग व उनके अधीन कार्यालयों पर चार हजार करोड़ से ज्यादा का बिजली बिल बकाया है तो वे चौंक गए। उन्होंने इस पर नाराजगी जताई। बड़े पैमाने पर बकाया होने के कारण बिजली कंपनी को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। अफसरों ने बताया कि सभी विभाग अपने बजट में बिजली बिल के लिए करोड़ों का प्रावधान करते हैं पर भुगतान नहीं करते।

रेलवे जैसे केंद्रीय उपक्रमों ने पूरा भुगतान कर दिया है, लेकिन राज्य के ही विभाग देरी करते हैं। सीएम ने नाराजगी जताते हुए ऊर्जा विभाग के अधिकारियों से कहा है कि वे विभागीय सचिवों से चर्चा कर मंथली पेमेंट का सिस्टम बनाएं। वे भी मंत्रियों से चर्चा करेंगे। सीएम को बकाएदार विभागों की जो सूची दी गई है, उसके मुताबिक पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पर 22 करोड़, आरईएस पर 6 करोड़, नगरीय प्रशासन 152 करोड़, शिक्षा 27 करोड़, पुलिस 22 करोड़, अजाक 15 करोड़, महिला एवं बाल विकास 54 करोड़, स्वास्थ्य 40 करोड़, जल संसाधन 80 करोड़, पीडब्लूडी 30 करोड़ और पर्यटन विभाग पर 15 करोड़ का बकाया है। इसके अलावा बिजली कंपनी को सरकार द्वारा कई वर्गों को दी जारी छूट के रीइंबर्समेंट के तहत 500 करोड़ रुपए लेने हैं।

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