बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के मस्तूरी ब्लॉक में अपनी तरह का अनोखा मामला सामने आया है। विजयादशमी के दिन रावण के बदले सरपंच, सचिव सहित पंचायत के 11 पंचों का पुतला बनाकर ग्रामीणों ने दहन किया। ग्रामीण पिछले 5 वर्ष से गांव में विकास कार्य नहीं होने से ग्रामीणों हैं। हालांकि ग्रामीणों ने महिला प्रतिनिधियों के सम्मान में उनकी जगह उनके पति और बेटों के नाम पुतले पर लिखवा दिए थे। संभवत: यह प्रदेश का पहला मामला है, जब ग्रामीणों ने इस तरह से अपना गुस्सा जाहिर किया है।
मस्तूरी ब्लॉक की ग्राम पंचायत बनियाडीह में गांव वालों ने सरपंच, उपसरपंच, सचिव और पंचों का रावण का पुतला बनाकर वध किया। दशहरा एवं दुर्गा उत्सव आयोजन समिति के सदस्य दिलीप कश्यप ने बताया कि पिछले पांच वर्ष से हमारा गांव बनियाडीह विकास को तरस रहा है। शासन की योजनाओं लाभ ग्रामीणों नहीं रहा है। पंचायत प्रतिनिधि के साथ सचिव भी अहंकारी हो गए हैं। इसलिए ग्रामीणों ने मिलकर रावण के बदले अहंकारी पंचायत प्रतिनिधियों का 35 फीट का पुतला बनाकर पूजा-अर्चना कर दहन किया है।
गांव वालों द्वारा बनाए गए पंचायत प्रतिनिधियों के पुतले का खुद वार्ड क्रमांक 11 के पंच प्रहलाद दास वैष्णव ने राम बनकर दहन किया। रावण के पुतले परप्रहलाद वैष्णव का भी पंच होने के कारण नाम लिखा था। उन्होंने बताया कि पंचायत के सरपंच, सचिव से वे खुद परेशान हैं। इसलिए ग्रामीणों का साथ दिया है। अलग-अलग पुतलाें में सरपंच, उपसरपंच, सचिव और सभी पंचों का नाम लिखा था। ग्रामीणों ने तैयार किए रावण के पुतले के धड़ के हिस्से में सरपंच पति का नाम लिखा। रावण के दस सिर में एक सिर गधे का होता है। उस पर सचिव का नाम लिखकर जलाया गया।
ग्रामीणों ने महिला सरपंच के बदले पति लखेश्वर बघेल का नाम और महिला पंचों के पति या बेटों का नाम लिखकर पुतला दहन किया। ग्रामीणों ने बताया कि हम महिलाओं का सम्मान करते हैं। इसलिए उनके नाम के रावण के दहन उनके प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों का नाम लिखा। वर्ष 2013 में नया परिसीमन में हुआ था, इससे पूर्व मस्तूरी ब्लॉक में 106 ग्राम पंचायतें थीं। परिसीमन में 20 नई पंचायत बनीं थी। उन्हीं 20 पंचायतों में एक पंचायत बनियाडीह है। ग्रामीणों ने सोचा था कि स्वतंत्र रूप से पंचायत होने से यहां विकास कार्य होंगे। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है।
गांव वाले दशहरा मनाने के लिए पैसों की मांग कर रहे थे। नहीं दिया तो ग्रामीणों ने यह कदम उठाया है।
गंगोत्री बाई बघेल, सरपंच
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