नई दिल्ली. गुजरात से राजस्थान होते हुए दिल्ली-हरियाणा की सीमा तक 1400 किलोमीटर लंबी और 5 किमी चौड़ी ग्रीन वॉल बनेगी। केंद्र सरकार देश में पर्यावरण बचाने के लिए और हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए इस पर विचार कर रही है। अफ्रीका में भी जलवायु परिवर्तन और बढ़ते रेगिस्तान से छुटकारा पाने के लिए इसे तैयार किया जा रहा है। 'इसे ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ सहारा' भी कहा जाता है। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से अभी इस योजना की शुरुआती चरण में चर्चा शुरू की गई है। अगर इस प्रोजेक्ट को मंजूर मिल जाती है तो भारत में बढ़ते प्रदूषण को रोकने का यह प्रयास बहुत ही कारगर साबित हो सकता है।
पोरबंदर से पानीपत तक बनने वाली इस ग्रीन बेल्ट से बढ़ते वन क्षेत्र में भी सुधार होगा। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, हरियाणा से लेकर दिल्ली तक फैली हुई पर्वतमाला पर घटती हरियाली का संकट भी कम किया जा सकेगा। भारत ने 2030 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रोजेक्ट से करीब 2.6 करोड़ हेक्टयेर जमीन को प्रदूषण मुक्त किया जा सकेगा।
वॉल का विचार यूएन में है
पश्चिम भारत और पाकिस्तान के रण (रेतीले इलाके) से दिल्ली तक उड़कर आने वाली धूल को इस ग्रीन वॉल से रोका जा सकेगा। केंद्र सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, भारत में वनों की घटती संख्या और बढ़ते रण को रोकने के लिए यह विचार हाल ही में ही संयुक्त राष्ट्र की कॉन्फ्रेंस में रखा गया।
तीन राज्यों को फायदा होगा
इसरो ने 2016 में एक नक्शा जारी किया था। उस नक्शे के अनुसार गुजरात, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्य और केंद्र शासित राज्यों में जहां 50% से भी ज्यादा जमीन हरित क्षेत्र से बाहर है। इसलिए इन जगहों पर रेगिस्तान के बढ़ने की आशंका है।
अफ्रीका में सेनेगल से जिबूती तक ग्रीन वॉल
अफ्रीका में ग्रेट ग्रीन वॉल पर करीब एक दशक पहले से ही काम शुरू हो चुका है। हालांकि, इस प्रोजेक्ट में कई देशों की भागीदारी होने से और उनकी अलग-अलग कार्यप्रणाली होने के कारण अभी तक यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है। अफ्रीका की ग्रीन वॉल सेनेगल से लेकर जिबूती तक बनेगी। पर्यावरण में परिवर्तन और बढ़ते रेगिस्तान को कम करने के लिए उसका निर्माण किया जा रहा है।
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