नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई में शुक्रवार को अनौपचारिक मुलाकात करेंगे। दोनों के बीच यह दूसरी अनौपचारिक मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक होगी। पूर्व विदेश मंत्री शशांक शेखर और रक्षा मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी का मानना है कि मोदी की रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन और अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ मुलाकात के बाद जिनपिंग से ऐसी मुलाकात जरूरी थी। इस बैठक में दोनों नेता कूटनीतिक दायरों को तोड़कर कश्मीर, भारत-चीन सीमा विवाद, पीओके में चीनी निवेश जैसे मसलों पर खुलकर बात कर सकते हैं।
कूटनीतिक: एशिया में टकराव को कम करने और शांति के लिए यह समिट अहम
इन जानकारों का कहना है कि वुहान के बाद महाबलीपुरम की यह मुलाकात दोनों नेताओं के बीच रिश्तों की निरंतरता को दर्शाती है। जिनपिंग और मोदी रिश्तों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। मोदी और शी की यह बैठक एशिया के लिए बहुत अहम है। ट्रम्प और शी के बीच रिश्ते बिगड़ रहे हैं। अमेरिका चीन पर प्रतिबंध लगा रहा है। रूस और चीन के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं। अफगानिस्तान से अमेरिका अपनी फौज हटाना चाहता है। वहां का आतंकवाद हमारी दहलीज पर आ सकता है। ऐसे में एशिया में टकराव की हालत हैं। मोदी ने सितंबर में रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ बातचीत की। फिर मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ मुलाकात की। अब जिनपिंग ही बड़े नेता थे, जिनके साथ मिलना बाकी था। यह कूटनीतिक दृष्टि से बहुत अहम है।"
सीमा का सवाल: चीन अरुणाचल, कश्मीर में विवाद का हल चाहता है
‘‘मोदी और जिनपिंग की इस शिखर बैठक का भारी भरकम एजेंडा हो सकता है। उनके सामने 4 खांचों में बात होने की संभावना है। भारत-चीन के बीच सीमा विवाद सबसे अहम है। भारत के लिए यह प्राथमिकता का मुद्दा है। दूसरी ओर चीन अपने लिए माकूल समय पर इसका हल चाहता है।’’
पीओके में निवेश: मोदी शी से इस बात का जिक्र जरूर करना चाहेंगे
जिनपिंग का पारंपरिक डांस से होगा स्वागत
जिनपिंग शुक्रवार दोपहर चेन्नई पहुंचेंगे। जहां उनका पारंपरिक डांस और संगीत के साथ एयरपोर्ट पर स्वागत किया जाएगा। इसी दिन महाबलीपुरम रवाना होंगे। यहां जिनपिंग और मोदी मंदिरों में जाएंगे। शाम को जिनपिंग सांस्कृतिक समारोह में शामिल होंगे और मोदी उन्हें डिनर भी देंगे। वह होटल आईटीसी ग्रांड में रुकेंगे।
चीन से 2000 साल पुराने हैं महाबलीपुरम के संबंध
तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी किनारे स्थित महाबलीपुरम शहर चेन्नई से करीब 60 किमी दूर है। इसकी स्थापना धार्मिक उद्देश्यों से 7वीं सदी में पल्लव वंश के राजा नरसिंह वर्मन ने कराई थी। नरसिंह ने मामल्ल की उपाधि धारण की थी, इसलिए इसे मामल्लपुरम के नाम से भी जाना जाता है। यहां शोध के दौरान चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्के बड़ी संख्या में मिले हैं। प्राचीन बंदरगाह वाले महाबलीपुरम का करीब 2000 साल पहले चीन के साथ खास संबंध था। पुरातत्वविद राजावेलू बताते हैं कि कि यहां बरामद हुए पहली और दूसरी सदी के मिट्टी के बर्तन हमें चीन के समुद्री व्यापार की जानकारी देते हैं। पल्लव शासन के दौरान चीनी यात्री ह्वेन सांग कांचीपुरम आए थे। पल्लव शासकों ने चीन में अपने दूत भेजे थे।
पहली अनौपचारिक बैठक वुहान में हुई थी
मोदी-जिनपिंग के बीच पहली अनौपचारिक बैठक अप्रैल 2018 में हुई थी। तब दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद चल रहा था। इस मसले पर मोदी और जिनपिंग ने खुलकर बातचीत की थी। डोकलाम में चीन और भारत की सेनाएं 16 जून से 28 अगस्त 2017 तक आमने-सामने थीं। बाद में विवाद शांत हो गया था।
Comment Now