जगदलपुर. बस्तर दशहरा की सबसे महत्वपूर्ण रस्म भीतर रैनी विधान को मंगलवार देर रात पूरा किया गया। इस विधान के लिए किलेपाल, गड़िया और करेकोट सहित 50 से अधिक गांवों के 2 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। उन्होंने आधी रात राजमहल परिसर के मुख्य द्वार के सामने से 8 चक्कों के विशाल लकड़ी के रथ की चोरी कर लिया। यहां से रथ चोरी कर सीधे कुम्हड़ाकोट के जंगलों तक ले गए। अब बुधवार को राज परिवार के सदस्य ग्रामीणों को रथ लौटाने के लिए मनाएंगे।
रथ चोरी कर ले जाने के दौरान रास्तेभर उनके साथ आंगादेव सहित सैकड़ों देवी-देवता भी साथ रहे। फूल रथ की परिक्रमा के दो दिनों के विराम के बाद भीतर रैनी (विजय दशमी) को 8 चक्के वाले दोमंजिला लकड़ी रथ की परिक्रमा दंतेश्वरी मंदिर, सिरासार, जयस्तंभ, गुरुनानक चौक से दंतेश्वरी मंदिर तक पूरी की गई। रथ का परिचालन किलेपाल परगना के माड़िया आदिवासियों ने किया। इससे पहले सोमवार की रात को मावली परघाव की रस्म पूरी की गई है।
कुछ खास बिंदु
अलग-अलग गांवों के 2 हजार से ज्यादा ग्रामीणों ने देर रात रथ चोरी कर उसे गुरुनानक चौक से होते हुए पहले मेन रोड लेकर आए। यहां से रथ को कोतवाली होते हुए लालबाग मैदान से कुम्हड़ाकोट ले जाया गया। इस दौरान पूरे रास्ते में ट्रैफिक को करीब आधा दर्जन स्थानों पर डायवर्ट किया गया था। सुरक्षा व्यवस्था के लिए हर चौक पर जवानों के साथ पुलिस अफसरों की तैनाती की गई थी। राज परिवार के सदस्यों के मान जाने पर रथ को वापस दंतेश्वरी मंदिर लाया जाएगा।
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