पानीपत (मनोज कौशिक). पढ़े-लिखे युवा हों या नौकरी पेशा हर किसी में राजनीति का क्रेज है। हरियाणा में इस विधानसभा चुनाव में डॉक्टर से लेकर, खिलाड़ी, लेक्चरर और विदेश में नौकरी करने वाले तक चुनावी दंगल में ताल ठोक रहे हैं। यह सत्ता का क्रेज ही है, जो कई युवा 1 करोड़ रु. तो कोई लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़कर गली-गली घूमकर मतदान की अपील कर रहा है। पढ़ें ऐसे ही चुनिंदा उम्मीदवारों से जुड़ी जानकारी...
लंदन में पब्लिक रिलेशन की 1 करोड़ रुपए की नौकरी छोड़कर नौक्षम चौधरी हरियाणा के सबसे पिछड़े जिलों में से एक मेवात के पुन्हाना विधानसभा में चुनाव लड़ने उतरी हैं। नौक्षम भाजपा की सीट पर चुनावी मैदान में हैं। पिता रिटायर्ड जज और मां बड़ी अधिकारी हैं। मिरांडा हाउस कॉलेज में छात्र संघ नेता रही नौक्षम ने अगस्त में ही भाजपा की सदस्यता ली थी। उनका कहना है कि वह विदेश से अपने जिले के विकास के लिए भारत लौटी हैं।
बल्लभगढ़ विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी की सीट पर चुनाव लड़ रहे अरुण बीसला पेटीएम से इंजीनियर की नौकरी छोड़कर आए हैं। आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट अरुण की अच्छी खासी तनख्वाह थी। उनके दादा चौधरी सुमेर सिंह आजादी से पहले और आजादी के बाद विधायक रहे। उनके पिता आर्मी ऑफिसर रिटायर्ड हुए। अरुण ने कहा कि अपने दादा की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने राजनीति में आया।
झज्जर में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ. राकेश कुमार डिप्टी सिविल सर्जन से वीआरएस लेकर राजनीति में आए हैं। उन्होंने महज 2 महीने पहले वीआरएस लिया और आरएसएस से जुड़ाव की वजह से उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला। हालांकि डॉ. राकेश ने पिछली बार भी चुनाव लड़ने का प्रयास किया था लेकिन उन्हें वीआरएस नहीं मिल पाया था। वे झज्जर से कांग्रेस की मौजूदा विधायक गीता भुक्कल के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं।
जजपा से लाडवा सीट पर चुनाव लड़ रही डॉ. संतोष दहिया कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर कार्यरत हैं। यूनिवर्सिटी में ऑन लीव होकर वे चुनाव लड़ रही हैं। संतोष दहिया 2014 में बेरी विधानसभा से इनेलो की सीट पर भी चुनाव लड़ चुकी हैं। तब भी उन्होंने यूनिवर्सिटी से छुट्टी ली थी। वॉलीबाल की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दहिया ने 1991 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में नौकरी ज्वाइन की थी। वे खाप पंचायतों से भी जुड़ी रही हैं।
अचानक से जजपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुई बबीता फौगाट सब इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़कर राजनीति में आई है। वे भाजपा की सीट पर चरखी दादरी से चुनाव लड़ रही हैं। इसी तरह योगेश्वर दत्त डीएसपी की नौकरी छोड़कर भाजपा के टिकट चुनाव लड़ रहे हैं। वे बरोदा विधानसभा से खड़े हैं।
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